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कर्म का फल
कर्म का फल :-
ये आदतें, ये वृत्तिया  ही असल में कर्म का फल है ।
हमें बाजार में कोई भी चीज़ खरीदनी हो तो हमे उसका सेंपल दिखाया  जाता है। ऐसे ही हम कोई भी संकल्प करते हैं, तॊ उसका परिणाम  क्या होगा उसका सेंपल हमें संकल्प करते ही महसूस होता है।
अगर  किसी के लिये बुरा सोचते है तो कुदरत फल के रुप को टेस्ट करने के लिये सेंपल  देती है । वह सेंपल है अच्छा  न  लगना । हमें बुरा बुरा लगना।
सोचो सेंपल ही इतना कड़वा  है, तो फल कैसा होगा? कितना  कड़वा  होगा । इस संकेत को समझ कर योग्य कर्म करे ।
कुदरत का संकेत हर कर्म में मिलता रहता है। उसको समझ कर श्रेष्ट कार्य  करो।
अगर किसी को गलत राय देते है, तॊ आप को बेचैनी होने लगती है। आप की राय मान कर उसने जो गलत कार्य किया उस का हिस्सा आप को भी मिलेगा ।
आप  किसी से ईर्ष्या करते है तो उस समय मन में जलन की महसूसता होती है। भविष्य में इसका फल आप बहुत सारे व्यक्ति आप से नफरत करेगें ।
आप किसी को नीचा  दिखाते है, आप को भविष्य में नीचा दिखाया जाएगा तब आप को कितनी बेज्जती महसूस होगी ।
आप किसी  का आर्थिक नुकसान करते है, आप को भविष्य में आर्थिक नुकसान करने वाले मिलेंगे,  तब आप को कितना लाचार होना  पड़ेगा।
कुदरत का नियम काम करता है, चाहे कुछ  भी हो जाये ।
दान  दिया तो आनंद उसी समय मिलता है ।
किसी के लिये प्रार्थना (योग ) की है तो उसी वक्त खुशी और संतुष्टि  होगी ।
किसी पर गुस्सा करते है तो सबसे पहले आप को तकलीफ होगी । जैसे ही गुस्सा किया तुरंत फल मिला ।
अच्छे  विचार  सबसे पहले  आप को मिठास  देंगे ।
गन्ने का रस निकालते है तो सब से पहले गन्ने की मशीन को मिठास मिलता है ।
मैं जो कर्म  करूँगा उसकी पुनरावृति  होगी, सिर्फ इंसान और स्थान  आपस में बदल जायेंगे ।
दुःख हमें किसी न किसी कर्म  के कारण मिलता है ।
वर्तमान में आप कोई  भी  कर्म करना चाह्ते, आप सोचते है या किसी से राय लेते है या कोई बुक पढ़ते है या टीवी आदि देखते है और हमें प्रेरणा आती है क़ि ऐसे ऐसे करना चाहिए ।
जैसे ही आप सोचते है क़ि ऐसे करना चाहिए, उस समय अगर आप को बुरा लगता है, डरावना  लगता है, बोझ लगता है, दुःख सा लगता है तॊ वह  कर्म नहीं करना है,  उस से आप को नुकसान  होगा ।
सोचने मात्र से अच्छा अच्छा लगे जिस में दूसरे का कल्याण समाया हो केवल वहीं संकल्प और कर्म करने है, उस से आप को बहुत अच्छा फल ही मिलेगा।