दर्द मर्द को भी होता
दर्द मर्द को भी होता है, पर वे अपनी भावनाओ को समाज से छिपाये रखता है,क्योकि वह मर्द है, क्योकि समाज अपनी कुंठित मानसिकता को लेकर चलता है, की मर्द को दर्द नही होता, उसकी कोई भावना नही होती है,उसकी भावनाओ को समझा कन्हा जाता है, वह तो मर्द है जिसको कोई दर्द नही होता। वह दर्द के लिए बना ही नही है। वह पत्थर की तरह कठोर और मजबूत है, जिसे रोना नही आता है, जिसकी किसी के प्रति कोई भावना नही है, इस समाज ने मर्द को हर मोड पर इतना दर्द दिया की वह सोच कर भी खामोश है। कहना तो बहुत कुछ चाहता है, रोना चाहता है, अपनी भावनाओ को बताना चाहता है, पर खामोश है, अंदर ही अंदर खुद से लड़ता रहता है, दर्द मे भी हँसता मुस्कुराता रहता है, मर्द है न उसको दर्द कन्हा होता है।
पर सच तो यह है दर्द उसको भी होता है।
पर सच तो यह है दर्द उसको भी होता है।