पत्थर और आईना
एक बार की बात है। एक पत्थर और एक आईने में बहुत गहरी दोस्ती थी। एक दिन कुछ पहाड़ों ने पत्थर का मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि "तुमने इतने मज़बूत होकर भी एक कांच से दोस्ती कर ली? बहुत कमज़ोर हो। आईने में सब ख़ुद को देखते हैं, मुस्कुराते हैं। तुम अगर सामने आ जाओ, तो लोग तुमसे ठोकरें खाते हैं, तुम्हें नज़रंदाज़ करके, गुस्सा करके चले जाते हैं।"
यह सुनकर पत्थर सोच में पड़ गया। उसे भी उनकी बातों मे सच्चाई दिखी। वह आईने के बहुत करीब(क्लोज़) था। वह आईने के पास गया।
आईने ने पूछा , "कहो , कैसे हो...
यह सुनकर पत्थर सोच में पड़ गया। उसे भी उनकी बातों मे सच्चाई दिखी। वह आईने के बहुत करीब(क्लोज़) था। वह आईने के पास गया।
आईने ने पूछा , "कहो , कैसे हो...