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विश्वास मजहब देख कर नहीं आता
राजिक से मेरी मुलाकात एक मीटिंग के दौरान हुई थी।यूं तो हम एक ही शहर के रहने वाले थे। कई दफा काम के सिलसिले में हम आमने-सामने भी हुए।मग़र हमारी आपस में कभी ठीक तरह से बात चीत नहीं हुई थी।मग़र आज जब यहां इस नये शहर में अजनबियों के बीच मैंने उसकी मदद की तो उसने मेरे साथ अपनी आपबीती साझा कि..जिसे सुनकर मैं दंग रह गया और अनायास ही मेरे मुंह से निकल गया । विश्वास मजहब देखकर नहीं आता..........!!
आज फिर वो 11 साल बाद नैनीताल मन्नत पूरी होने पर घंटा बांधने उसी मंदिर अपनी पत्नी और बेटे को साथ लेकर जा रहा था। राजिक और तमन्ना एक दूसरे को बहुत पसंद करते थे। और फिर इन्होंने अपने माता-पिता की अनुमति से विवाह के अटूट बंधन में बंध गए। हंसी खुशी के दिन पंख लगा कर उड़ने लगे और देखते-देखते 4 साल गुजर गए।इन चार सालों में वो दोनों पति-पत्नी कहां-कहां नहीं भटके ..??डॉक्टर को दिखाया मंदिर मस्जिद और दरगाहों का चक्कर लगा कर उन पे चादर चढ़ाया। मग़र फिर भी उनके घर संतान की किलकारी नहीं गूंजी।दोनों पति-पत्नी के साथ घर वाले भी बहुत परेशान थे।उन्हीं दिनों मीटिंग के सिलसिले में राजिक का नैनीताल जाना हुआ । वहां उन्हें पता चला घोड़ाखाल मंदिर और गोलू देवता के बारे में जहां से आज तक कोई भी सवाली खाली हाथ नहीं लौटा है।
घोड़ाखाल (घंटियों वाला) मंदिर है।इस मंदिर के प्रांगण में और भी छोटे-छोटे कई मंदिर स्थित है। जहां देवी देवताओं की सुंदर प्रतिमाएं स्थित है। और उस स्थान की शोभा बढ़ा रहे हैं। यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रहती है। इस मंदिर की महत्ता यह है कि यहां से आज तक कोई भी सवाली खाली हाथ नहीं लौटा है। गोलू देवता के इस मंदिर में जो कोई सवाली श्रद्धा और भक्ति से नतमस्तक होकर अपनी मनोकामना पत्रों पर या फिर काग़ज़ पे लिख कर मन्नत मांगते हैं। उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती हैं। यहां इस मंदिर में स्थित गोलू देवता ,गौर भैरव और न्याय के देवता को भगवान शिव का ही रुप माना जाता है। यह सभी नाम एक ही देवता के हैं। जिन्हें लोग अलग-अलग नाम से पुकारते हैं।
इस मंदिर में भगवान राम माता सीता भ्राता लक्ष्मण और भक्त शिरोमणि हनुमान जी की भी प्रतिमाएं स्थित है। साथ ही यहां माता काली जी की भी बहुत ही सुंदर अप्रतिम प्रतिमा स्थित है।
जिनके दर्शन मात्र से भक्तों के भाग्य खुल जाते हैं।
जो भी भक्त पत्रों पर मन्नत लिख कर विधिपूर्वक टांग देते है। और मनोकामना पूर्ण होने पर वहां घंटी और घंटा बांधते है।
(गोलू देवता के इस मंदिर में मन्नत पूरी होने पर घंटी और घंटा बांधने का रिवाज है।) मन्नत पूरी होने के बाद 12 बरस पूरे होने से पहले विधी पूर्वक उस मंदिर में घंटी और घंटा उपहार स्वरूप भेंट करता है। उस पर गोलू देवता सदैव प्रसन्न रहते हैं।
इस मंदिर की प्रशंसा सुनकर राजिक की भी दर्शन की इच्छा जागृत हुई। राजिक ने ना तो जात बिरादरी देखी और ना ही मजहब देखा बस नंगे पांव निकल पड़ा।
और राजिक ने गोलू देवता के मंदिर जाकर माथा टेका और अपनी मनोकामना उनके श्री चरणों में रख दिया। साथ ही श्रद्धा और भक्ति से नतमस्तक होकर राजिक ने अपनी मन्नत पत्रों पर भी लिख कर टांग दिया ..!! और गोलू देवता की कृपा से साल भर के भीतर ही उसकी पत्नी तमन्ना ने एक चांद से बेटे को जन्म दिया। बच्चे की किलकारी सुनकर घर में खुशी का समा बंध गया....!!
किरण