दिल के अल्फाज
बचपन से मेहनत का खाया है मैंने
एक निवाला भी झोली में बेईमानी का नही
मैंने बचपन में ही खो दिया सब
ग़ुरूर अब तो मुझे अपनी जवानी का नही
कंचे खेलने की उम्र में ढोया बोझा
मेरी आँखें लहू का दरिया है पानी का नही
ना फेंको ज़मीर की देहरी पर सिक्के
ये मेरी ख़ुद्दारी हिस्सा मेरी कहानी का नही
बिकने न दिया क़भी भी उसूलों को
ऐसा सौदा मेरे लिए सौदा हानि का नही
क़भी मतला,क़भी नज़्में,कभी अशआर
ये शौक़ इस बंदे का खोट किसी रानी का नही
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एक निवाला भी झोली में बेईमानी का नही
मैंने बचपन में ही खो दिया सब
ग़ुरूर अब तो मुझे अपनी जवानी का नही
कंचे खेलने की उम्र में ढोया बोझा
मेरी आँखें लहू का दरिया है पानी का नही
ना फेंको ज़मीर की देहरी पर सिक्के
ये मेरी ख़ुद्दारी हिस्सा मेरी कहानी का नही
बिकने न दिया क़भी भी उसूलों को
ऐसा सौदा मेरे लिए सौदा हानि का नही
क़भी मतला,क़भी नज़्में,कभी अशआर
ये शौक़ इस बंदे का खोट किसी रानी का नही
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