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प्रेम पत्र
मेरे हाथ में किताब थी और मैं इधर उधर देखे जा रही थी क्योंकि वह मेरे हाथ में किताब पकड़ा कर गायब हो चुका था या यों कहें कि वह कहीं छिप गया था,वहां से दूर भाग चुका था. शायद मेरी मति मारी गई थी जो मैं ने उस से किताब ले ली थी. सच कहूं तो वह काफी समय से मुझे impress करने में लगा हुआ था।

हालांकि कभी कुछ कहा नहीं था, और आज जब उसे पता चला कि मुझे इस विषय की किताब की जरूरत है तो न जाने कहां से फौरन उस किताब को arrange कर के मेरे हाथों में पकड़ा कर चला गया था।

प्रेम पत्र। एक प्रेम पत्र जिसने मुझसे एहसाह जगाया।

मैं ने उस समय तो वह किताब पकड़ ली थी, लेकिन अब उस के छिप जाने या गायब हो। जाने से मेरा दिमाग...