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श्रापित हवेली और प्यार
Chapter 7: रहस्य की गहराई



हवेली के सन्नाटे ने अनिका के दिल की धड़कनों को तेज कर दिया था। अंधेरे और रहस्यमय गलियारे से गुजरते हुए उसके कदम लड़खड़ा रहे थे, लेकिन उसने खुद को संभाल लिया। यह हवेली अब उसके लिए केवल एक पुरानी इमारत नहीं रह गई थी। यह एक ऐसा जीवंत स्थान बन चुकी थी, जो अपने हर कोने में एक कहानी छुपाए बैठा था।

विक्रम राठौड़ की दी हुई चाबी अनिका की हथेली में चमक रही थी। यह चाबी उसे हवेली के अतीत की गहराइयों में ले जाने वाली थी, जहाँ सच और झूठ का कोई मतलब नहीं था ।


दरवाजे के करीब पहुँचकर अनिका ने महसूस किया कि उसकी साँसें तेज हो रही थीं । दरवाजे पर बने रहस्यमय चिन्ह और खुरदुरी लकड़ी उसे चुनौती दे रहे थे। दरवाजे पर लगे प्रतीकों में कुछ अनजाना भय छिपा हुआ था ।

"यह दरवाजा मेरी परीक्षा लेने वाला है," उसने खुद से कहा ।

उसने धीरे से चाबी को ताले में डाला। जैसे ही चाबी घूमी, एक ठंडी हवा ने उसे छू लिया। दरवाजा चरमराते हुए खुला और अनिका ने अपने सामने एक संकरी सीढ़ी देखी, जो नीचे की ओर जा रही थी।

सीढ़ियाँ लकड़ी की थीं और हर कदम पर चरमरातीं। ऐसा लग रहा था, जैसे सदियों से किसी ने इन पर कदम नहीं रखा हो। सीढ़ियों के दोनों ओर दीवारों पर धुंधले चित्र बने थे, जो एक अजीब-सी कहानी बयाँ...