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प्रणय कलरव
आज बाहर इतनी तेज़ आँधी-तूफ़ान आये हुए थे कि बड़ी मुश्क़िल से श्रद्धा खिड़की के पल्ले लगा पायी। अभी एक खिड़की को बंद करना रह ही गया था। वो गई और उस खिड़की को जैसे ही बंद करने के लिए हाथ आगे बढ़ाया आसमान से बरसते बदरा ज़ोर से कड़के। वो सहम कर पीछे हो गई। उसकी पीठ किसी कठोर चीज़ से टकरा गई जिससे गर्माहट का एहसास...