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तरक़्क़ी देखकर फुले नहीं समा रहे थे ….
बिहार का रहने वाला एक १८ वर्षीय युवा मुश्किल से १०वी पास, चार बहन भाइयों में सबसे छोटा, कुछ करने के लिए अपने माँ बाप को बिना बतायें दिल्ली आ जाता हैं.काम की तलाश में इधर उधर घूमता हैं, दिहाड़ी पर एक कंप्यूटर सही करने वाले के यहाँ नौकरी करनी शुरू कर दी.दिन में काम रात में कंप्यूटर भाषा सीखता था.काम करते-करते उसने एक छोटी सी वेबसाइट बना ली.अपने मालिक को दिखाई, मालिक उसके काम से बहुत प्रभावित हुए, उसके इस काम को देख कर उसको कई और ज़िम्मेदारी दे दी जिसको उसने बहुत अच्छे से निभाया और साथ ही साथ एक और वेबसाइट पर काम करना शुरू कर दिया.ये वेबसाइट बहुत अच्छी बनी थी क़रीब २ साल बाद यह वेबसाइट २ करोड़ में बेच दी.उसके बाद पीछे मुड कर...