बिना कुछ कहे नजरों से समझ
कभी कभी नजरे बहुत कुछ कह देती है,इन नजरों को अगर कोई समझ जाए तो ऐसा लगाता है,की खून के रिश्ते ही ज़रूरी नहीं होते हैं, किसी को समझाने के लिए ऐसा ही कुछ माला मैम के साथ हुआ।
मैम एक स्कूल की शिक्षिका थी, जैसा उनका नाम वैसा ही उनका स्वाभाव जैसे माला मोतियों को बांध कर रखती हैं वैसे मैम भी अपने रिश्ते को बांध कर रखती थी , मैम का स्वाभाव मिलनसार था ।
हर बच्चे से अच्छा व्यवहार करती थी और इसलिए बच्चे भी मैम को सम्मान देते थे, कुछ बच्चो को वो बहुत अच्छे से जानती थीं और कुछ का बस नाम जानती थी।
एक दिन की बात है , मैम क्लास में लेट पहुंची और बिल्कुल बदहवास लग रही थी,सारे बच्चे उनको देख तो रहे थे पंरतु किसी को कोई फ़र्क नहीं पड़ा या ये...
मैम एक स्कूल की शिक्षिका थी, जैसा उनका नाम वैसा ही उनका स्वाभाव जैसे माला मोतियों को बांध कर रखती हैं वैसे मैम भी अपने रिश्ते को बांध कर रखती थी , मैम का स्वाभाव मिलनसार था ।
हर बच्चे से अच्छा व्यवहार करती थी और इसलिए बच्चे भी मैम को सम्मान देते थे, कुछ बच्चो को वो बहुत अच्छे से जानती थीं और कुछ का बस नाम जानती थी।
एक दिन की बात है , मैम क्लास में लेट पहुंची और बिल्कुल बदहवास लग रही थी,सारे बच्चे उनको देख तो रहे थे पंरतु किसी को कोई फ़र्क नहीं पड़ा या ये...