Garmi
आज बहुत गर्मी थी, इसलिये सोने से पहले मैंने नहाना बेहतर समझा। नहाने के बाद मैं बेडरूम में आई और आईने के सामने खड़ी हो गई। मैंने बिस्तर पर तौलिया फेंकते हुए खुद को देखा।
मेरे बालों से पानी की बूंदें धीरे-धीरे मेरी पीठ पर गिर रही थीं। उन बूंदों का ठंडापन मेरे शरीर में एक अलग सी सिहरन पैदा कर रहा था। अचानक दरवाजा खुला और रवि अंदर आया। उसकी निगाहें मुझ पर पड़ीं और वह ठिठक गया।
रवि ने धीमे कदमों से मेरे पास आकर मेरा हाथ थामा और मुझे अपनी ओर खींच लिया। "तुम्हें देखना हमेशा से मेरी कमजोरी रही है," उसने धीरे से कहा। मैंने उसकी आँखों में देखा, उसकी आँखों में प्यार और चाहत की चमक साफ झलक रही थी।
रवि ने मुझे धीरे से अपने करीब खींचा और मेरे बालों में उंगलियाँ फिराते हुए कहा, "तुम्हारे बालों की महक मुझे पागल कर देती है।" उसकी आवाज़ में एक अजीब सा खिंचाव था। मैंने धीरे से मुस्कराते हुए कहा, "क्या तुम्हें याद है, जब हमने पहली बार इसी तरह एक दूसरे को देखा था?"
रवि ने हाँ में सिर हिलाया और मेरी कमर के चारों ओर...
मेरे बालों से पानी की बूंदें धीरे-धीरे मेरी पीठ पर गिर रही थीं। उन बूंदों का ठंडापन मेरे शरीर में एक अलग सी सिहरन पैदा कर रहा था। अचानक दरवाजा खुला और रवि अंदर आया। उसकी निगाहें मुझ पर पड़ीं और वह ठिठक गया।
रवि ने धीमे कदमों से मेरे पास आकर मेरा हाथ थामा और मुझे अपनी ओर खींच लिया। "तुम्हें देखना हमेशा से मेरी कमजोरी रही है," उसने धीरे से कहा। मैंने उसकी आँखों में देखा, उसकी आँखों में प्यार और चाहत की चमक साफ झलक रही थी।
रवि ने मुझे धीरे से अपने करीब खींचा और मेरे बालों में उंगलियाँ फिराते हुए कहा, "तुम्हारे बालों की महक मुझे पागल कर देती है।" उसकी आवाज़ में एक अजीब सा खिंचाव था। मैंने धीरे से मुस्कराते हुए कहा, "क्या तुम्हें याद है, जब हमने पहली बार इसी तरह एक दूसरे को देखा था?"
रवि ने हाँ में सिर हिलाया और मेरी कमर के चारों ओर...