प्रेम निष्ठा (भाग -4)
तीन दिन बीत गये, मगर हम चारों की कोई बात न हुई। शायद सब इतने बिजी थे कि वक्त का पता भी न चला। खेर छोड़ो ये बाते, किसी को क्या कहूँ, मैने कौन-सा किसी को मैसेज करके हाल पूछा। आज दोपहर जब फ़ोन देखा तो उसपर मैसेज आया हुआ था। मैसेज प्रेम का था, उसने कहा की कल हमारी ट्रेन है, तो हम वापस जा रहे है। क्या तुम दोनों मिल सकती हो, लास्ट डे। निशा ने कहा की, मै जरुर आती मगर मैं अभी 'दिल्ली से बाहर' हू। मगर तुम तीनो जरूर...