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मोहब्बत या भ्रम जाल(भाग 1)
सुबह के 4:00 बज चुके थे, जब शिखा को घर की सभी औरतें इस कमरे में छोड़ कर गई थी। इस समय वह कमरे में अकेली थी ।कमरा बहुत खूबसूरती से सजा हुआ था ।एक मन में अलग से घबराहट हो रही थी। उसे वह पहली बार अपने मम्मी पापा से इतनी दूर थी । पहली बार अकेली किसी अजनबी घर में थी।शादी की पहली रात के बारे में जो बातें जिस ने जैसे बताई थी वह उसी रूप में उसके सामने लगातार घूम रही थी बिना किसी को देखे बिना किसी को समझे ही उसे पता नहीं क्यों इतनी घबराहट हो रही थी। हाथ पैर में हल्की सी कंपनी थी।शादी के थका देने वाले रीति-रिवाजों से वह कुछ थकी हुई थी कि अचानक दरवाजे खुलने की आवाज से सावधान स्थिति में बैठ गई। वह अपने दिल की धड़कने की आवाज भी अपने कानों से सुन रही थी। अपने पति मुकेश से जिन बातों की वह उम्मीद कर रही थी उस से उलट मुकेश गंभीर कदमों की चाप से कमरे में 2 चक्कर मार कर सीधा बाथरूम में घुस गया। शिखा हैरानी से धड़ाम से बंद हुई बाथरूम के दरवाजे को देखती रह गई उसकी तो समझ में ही नहीं आया अचानक 2 मिनट...