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प्रेम और पीडा ( दुसरा भाग )
कमल ने माधवी को अपनी बातों मे ऐसा उलझाया कि वो भूल ही गयी सबकुछ, अक्सर ही ऐसा होता है माधवी उसकी मीठी मीठी बातों मे ऐसे डूब जाती है कि उसे कमल के सिवा कुछ भी याद नही रहता उसका दिल चाहता है कमल उसके पास यूही बैठकर प्यार की बाते करता रहें हाय.... कहाँ से सिखा है इतनी प्यारी बातें रस से भरी बातें, शहद की तरह बातें, जादू भरी बातें , मन मोहने वाली बातें । कमल लेटकर बातें कर रहा था और सामने बैठी माधवी उसकी बातों से लुभाती जा रही थी बलिहारी जा रही । बाते करते करते कमल ने माधवी की कलाई पकडी और झटके से अपने उपर गिरा लिया। माधवी अचानक सम्भल न सकी और कमल के वक्षस्थल पे आ गयी। दोनो ने प्रेम विवाह किया था और शादी के पहले वाले प्रेम को बरकरार रखा था , या यूँ कहें की और गहरा किया था।
माधवी थी ही इतनी सुंदर। वैसे तो सुंदरता की कोई माप नही पर कमल उसे अपनी धडकनों की तरह ही रखता था। कमल की दीवानगी पर माधवी का बार बार " उफ्फ्फ्फ् "
कहना कमल को बहुत पसंद था।
पर हर सुबह की रात होती है , नियति को रास नही आयी दोनों का प्यार । दोनो के प्यार पर दुख के काले बादल ग्रहण बनकर थाने लगे।
शाम को कमल काम के बहाने से अपने एक परिचित फिजिशियन से मिला और सुबह की घटना विस्तार से बताया। डाक्टर आहूजा ने कहा ये तो चिंता की बात है कमल, चलो चेक करते है उन्होने कमल के सर का एक्सरे किया और बोले थोडी देर बैठो कमल मै देखता हूँ, डाक्टर आहूजा अंदर वाले रूम मे चले गये और कमल वही बैठा कोई पत्रिका देखने लगा, चिंता उसके माथे पे भी झलक रही थी।
थोडी देर बाद डाक्टर आहूजा आए और बोले " कमल क्या ये पहली बार हुआ है या पहले भी कभी हुआ था ?
" नही पहले तो कभी नही हुआ
कमल क्या भाभी को तुमने बताया ?
" नही अभी तो नही
ओके
कल सुबह तुम आओ तुम्हारा सीटी स्कैन करना है तभी मै कुछ साफ बता पाउंगऔर हाँ अभी तुम भाभी को कुछ मत बताना।
कुछ तो बता यार... कमल ने पूछा
नही अभी कुछ कह नही सकता
मगर कमल ने डाक्टर आहूजा के माथे की सिलवटों से अंदाजा लगा ही लिया कि अवश्य ही कोई गंभीर समस्या है।
कमल के पैर डाक्टर आहूजा के क्लिनिक से बाहर तो आए पर उन पैरों मे जान नही लग रहे थे उसे लगा रहा था पैरों मे कोई भारी पत्थर बंधे है। उसके आगे माधवी का मासूम चेहरा घूम रहा था क्या माधवी सहन कर पाएगी ?
अभी तो दोनो ने अपनी गृहस्थी को अच्छे से संवारा भी नही है जहाँ प्रेम हो वहाँ जवानी के दिन रात हवा की तरह गुजर जाते है। अभी तो जी भर के माधवी को देखा भी नही है बहुत सारे अरमान की संदूकची तो उसने खोली भी नही है , अभी तो उन्हौने दो एनिवर्सरी ही मनाई है। कमल के दीमाग मे
जज्बातों की आंधियां सी चलने लगी ।
एक सवाल कौंध रहा था " क्या माधवी को बताया जाए ???
क्या सहन कर पाएगी माधवी ???
कैसे प्रेम विहीन रह सकेगी??

( आपलोगो से मशवरा लेना चाहता हू क्या कमल को माधवी से सारी बातें कह देनी चाहिए ) प्रेम और पीडा के तिसरे भाग मे जाने कमल ने क्या सोचा।