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जिवन मोल
एक राजा निकला जंगल में काफिले के साथ।
काफिले में थे महामंत्री, विशेष सलाहकार, मित्रो और कुछ सेवकगण।
शायद शिकार के लिए ही निकले थे।
शाही शौक जो ठहरा!
काफी घूमे, लेकिन कोई प्राणी जब न मिला।
सब थक के आराम करने लगे।
लेकिन राजा का मन उद्विग्न, कैसे न होता?
इच्छा जो थी अधूरी।
वो अकेले निकल पड़ा आगे की और।
कुछ और जाके राजा के शरीर ने दे दिया जवाब।
पूरे राज्य का राजा होने पर भी खुद को पाया निः सहाय।
हो गया मूर्छित।
वही कोई वन रहीश ने देखा और ले गया अपनी कुटिया।
शीतल जल से किया छंटकाव।
भान में आते ही राजा ने किया शुक्रिया और देने लगा अपना सोने का हार।
जब वो वन रहीश ने बोला नही चाहिए हार जो जीवन की क़ीमत इस तुच्छ वस्तु से करे और क्या करे भला हम इस पत्थर का।
तभी समझा राजा उस छोटे आदमी की बड़ी बाते और ठान लिया जीवन को सही मायने में जीने का।

आशा है सब अपने जीवन का सही मूल्य जाने।
अस्तु।

@soch_vichar
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