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क्यों ग़ुम हो जाते हैं, कुछ लोग..
इन्सान जन्म लेता है, और समय के साथ एक नवजात शिशु से एक बच्चा, फिर एक वयस्क बनता है, और तब तक वह किसी ना किसी लायक़ बन जाता है, एक अच्छा जीवन निर्वाह करने योग्य और अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा करने योग्य।

बहुत लोग जीवन में अच्छा कर जाते हैं, मगर बहुत लोग ऐसे भी होते हैं, जो किसी योग्य नहीं बन पाते हैं, चाहे किसी भी मजबूरी की वजह से, या फिर वो ख़ुद ही कुछ करना नहीं चाहते हैं। हर एक इन्सान इसी प्रकार से किसी ना किसी काम को कर लेता है, कोई प्रवेश परीक्षा पास कर सरकारी अधिकारी, तो कोई डॉक्टर , कोई इंजीनियर, कोई अध्यापक, कोई वकील, कोई प्राइवेट कंपनी में किसी पद पर या कोई अपना व्यवसाय या व्यापार करता है। ऐसा देखा गया है इनमें से जो गरीब होता है, वो भी कड़ी मेहनत करके एक अच्छे पद पर पहुँच जाता है, और एक बड़ी सही कहावत है कि, “गरीब पैदा होना किसी की गलती नहीं है, वो उसकी क़िस्मत में लिखा होगा, मगर गरीब मर जाना तो उसी की गलती है, क्योंकि उसने आगे बढ़ने की कोशिश में कहीं ना कहीं कोई कमीं छोड़ दी होगी”।

क्यों सड़कों पर लोग कीड़े मकौड़ों की तरह पूरे दिन पड़े रहते हैं, क्योंकि उन्हें अब भीख के सहारे रहने की आदत सी हो गई है, और उनसे अब मेहनत भी नहीं हो सकती है। ऐसे ही ना जाने कितने लोग अच्छे घरों से होने के बावजूद सब कुछ खो कर, गुमनामी के अंधेरे में ग़ुम हो जाते हैं। कुछ लोग अपाहिज होने के बावजूद, किसी कार्य में कुशलता पाकर अपना जीवन यापन अच्छे से कर लेते हैं।

सब कुछ हमारे ऊपर ही है, जैसे सोचेंगे, वैसे हो एक दिन बन जाएँगे, बस कोशिश करना नहीं छोड़ना है कभी भी, एक दिन कामयाबी आ ही जायेगी ख़ुद खोजते हुए हमें..

© सुneel