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फिर क्या होगा उसके बाद { संस्मरण }
फिर क्या होगा उसके बाद !!

गुज़रते गुज़रते ज़िन्दगी मेरी अब इस पड़ाव पर आ पहुंची है के बचपन की यादों का गुलदस्ता अचानक से ख्यालों के दरवाज़े पर दस्तक दे गया है।
इन गुल्दस्तों को देखा तो मन खिलखिला उठा और अचानक मेरी नज़र का ध्यान जा पहुंचा एक याद की फूल पर, वही प्रश्न जिसने मुझे बचपन में बहुत असमंजस में डाला था।
हर वक्त जब मैं इस बारे में सोचता तो बस सोचता ही रह जाता था।
हैरानी के बादल मेरे छोटे से मस्तिष्क रूपी फ़लक पर छा जाते, हर बार स्तब्ध रह जाता। ये अड़चन और भी कई तरह के सवालों से रही है मुझ में,
खैर हम तो एक सीमित दायरे में ही सोच सकते हैं सो जितना सोच पाता उसी से मैं संतुष्ट हो जाता ।

लेकिन इस प्रश्न का जवाब शायद शब्दों में नहीं दिया जा सकता है , लोग कई तरह के जवाब दे देंगे लेकिन वह वास्तविकता की कसौटी पर खरे नहीं उतरेंगे। क्योंकि कुछ प्रश्नों के उत्तर पाने के लिए...