दृष्टी
एक बुद्धिमान, अदि बुद्धिमान, ऋषि
तीनों मिलकर सबसे पुराने मंदिर में गए।
मंदिर में प्रवेश करते ही
चलते समय ज्ञानी ने अन्य दोनों को देखा और कहा कि मैं गर्भगृह में भगवान से मिलने जा रहा हूं और सीधे अंदर चला गया।
अन्य दो मंदिर के मैदान के चारों ओर रेंगते रहे
वे चल पड़े।बुद्धिमान व्यक्ति ने जल्दी से बुद्धिमान व्यक्ति को प्रभु के दर्शन के लिए चलने के समय की सूचना दी और चला गया।
ज्ञानियो धैर्यपूर्वक प्रत्येक मूर्ति को विस्मय से देखते हुए मंदिर के चारों ओर रेंगते रहे और गर्भग्रह के द्वार पर आ गए।
उसके दो साथी वहीं खड़े थे।
परन्तु यह यहोवा के साम्हने परदा पड़ा रहा।
विद्वान और बुद्धिमान ने ऋषि को देखा और उनसे पूछा कि उन्हें आने में देर क्यों हुई।
दोनों साधुओं को देखकर और मंदिर की हर जीवित मूर्ति ने मुझे मंत्रमुग्ध कर दिया था।
मैंने इन मूर्तियों के निर्माता के मन के बारे में सोचा।
यदि इस मूर्ति को बनाने वाले का मन उत्कृष्ट है, तो उसे बनाने वाले भगवान उत्कृष्ट हैं
फिर अचानक घण्टी की आवाज से प्रभु का प्रकाश हुआ और पर्दा हट गया। ज्ञानी मूर्ति बन गए।
© MASILAMANI(Mass)(yamee)
तीनों मिलकर सबसे पुराने मंदिर में गए।
मंदिर में प्रवेश करते ही
चलते समय ज्ञानी ने अन्य दोनों को देखा और कहा कि मैं गर्भगृह में भगवान से मिलने जा रहा हूं और सीधे अंदर चला गया।
अन्य दो मंदिर के मैदान के चारों ओर रेंगते रहे
वे चल पड़े।बुद्धिमान व्यक्ति ने जल्दी से बुद्धिमान व्यक्ति को प्रभु के दर्शन के लिए चलने के समय की सूचना दी और चला गया।
ज्ञानियो धैर्यपूर्वक प्रत्येक मूर्ति को विस्मय से देखते हुए मंदिर के चारों ओर रेंगते रहे और गर्भग्रह के द्वार पर आ गए।
उसके दो साथी वहीं खड़े थे।
परन्तु यह यहोवा के साम्हने परदा पड़ा रहा।
विद्वान और बुद्धिमान ने ऋषि को देखा और उनसे पूछा कि उन्हें आने में देर क्यों हुई।
दोनों साधुओं को देखकर और मंदिर की हर जीवित मूर्ति ने मुझे मंत्रमुग्ध कर दिया था।
मैंने इन मूर्तियों के निर्माता के मन के बारे में सोचा।
यदि इस मूर्ति को बनाने वाले का मन उत्कृष्ट है, तो उसे बनाने वाले भगवान उत्कृष्ट हैं
फिर अचानक घण्टी की आवाज से प्रभु का प्रकाश हुआ और पर्दा हट गया। ज्ञानी मूर्ति बन गए।
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