...

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मेरी कविता
आओ सुनाऊँ तुम्हे कविता जो है मेरे जैसी ...
मेरी चूड़ी की खनक, मेरी पायल की छनक जैसी ...
मेरी बेपरवाह हसी, मेरे काजल के चमक जैसी...
है ये कविता, कुछ कुछ मेरे जैसी |
पर अब डरती है ये, कुछ सिसकती, कुछ सहमी सी...
तुम ही बता दो, हूँ कहाँ मैं सुरक्षित.. .
न घर, न दफ्तर, न बची है कोई भी गली सी...
जहां...