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टीचर
#टीचर
आज टीईटी का परिणाम घोषित हुआ है, शैलेंद्र भी पास हुए है। घर में खुशी का माहौल है। वो क्या है पांडेयपुर मोहल्ले में जनरल कास्ट का लडका एक ही बार में वो भी बिना किसी घूंस के पास हुआ है, कोई कम बात थोरे ना है जी! शैलेंद्र खुश है की अब वो अपने तरीके से बच्चों को इतिहास की सैर करवाएंगे| वो हमेशा से सरकारी टीचर बनना चाहते थे ताकि सरकारी स्कूल में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मुहैया कराने में अपना योगदान दें सकें| हाई स्कूल में सामाजिक विज्ञान टीचर की रिक्तियाँ निकली थी | शैलेन्द्र ने लगभग हर डिस्ट्रिक्ट में अप्लाई कर दिया था | आज मगध एजुकेशन डिपार्टमेंट में कॉउंसलिंग थी |उन्होंने गत्ते की फाइल में अपने सारे डाक्यूमेंट्स रख लिए, हल्का नास्ता कर के जाने को तैयार हुए तो माँ ने आवाज दिया बेटा दही गुड़ खा के जाओ! तुम्हारी मनोकामना पूरी हो बेटा शैलेन्द्र ने माँ को प्रणाम किया और अपनी बाइक से कॉउंसलिंग सेंटर की ओर चल पड़े | शैलेन्द्र एक मध्यवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते थे| पिता जी का हृदयघात से 5 साल पहले देहांत हो चूका था| शैलेन्द्र से छोटी दो बहने थी, उनकी जिम्मेदारी भी शैलेन्द्र के कंधो पे थी | ट्यूशन पढ़ा कर वो अपनी पढ़ाई का खर्चा उठाते थे | माँ सिलाई कर के घर का खर्च उठाती थी | जॉब लग जाएगी तो माँ को काम करने की जरूरत नह पड़ेगी ी बेचारी कितनी परेशान हो जाती हैँ सिलाई ओर घर का काम कर के! वो कॉउंसलिंग सेंटर पर पहुंच गए | गार्ड को उन्होंने अपनी फॉर्म की रिसीविंग दिखाई और अंदर आ गए | कॉउंसलिंग स्टार्ट होने वाली थी, कट ऑफ लिस्ट दिवार पे चिपकी थी | पूरे जिले में 8 इतिहास टीचर की रिक्ति थी | हर विषय में महिलाओं का 50% आरक्षण था | हाई स्कूल, 12वी, ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन, बी. एड और टीईटी के मार्क्स को जोड़ कर भारांक निकला जा रहा था,उसके माध्यम से अभ्यर्थियों का नियोजन हो रहा था 7 सीटों पे नियोजन हो चूका था | अब एक सीट बची थी | शैलेन्द्र, कॉउंसलिंग हॉल में गए तो वहाँ इतिहास के 4 पुरुष और 2 महिला अभ्यर्थी थी | शैलेन्द्र का भारांक सबसे अधिक था, लेकिन नियोजन में खुशबु कुमारी का नाम आया जिनका भारांक शैलेन्द्र के अपेक्षा बहुत कम था | महिला आरक्षण के अनुसार खुशबु कुमारी को उनसे पहले वरीयता दी गयी | वह बुझे मन से नियोजन स्थल से बाहर आ गए |उनको उदास देख एक कर्मचारी ने कहा, अभी तो बहुत से जिलों में कॉउंसलिंग होनी बाकि हैँ! हिम्मत ना हारें.. शैलेन्द्र ने उनकी तरफ देख कर एक फीकी हंसी हंस बुझे मन से घर की ओर चल पड़े....