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एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में प्रशनवाचक के प्रशणावली शैली में प्रश्न श्रृंखला की बोटी।।
यह एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में प्रशनवाचक द्वारा सवाल की "प्रशनाणावली शैली श्रृंखला पर आधारित प्रश्न की प्रशनाणावली में श्रृंखला की की वो बोटी है जिसमें उसके द्वारा किए गए समस्त प्रश्नों का उत्तर अंकित किए जा रहा है इस उपन्यासकार
द्वारा प्रकाशित किया गया है -(🔴)( प्रश्न -श्रृंखला 👉 इस गाथा में प्रशनों प्रशनवाचक द्वारा तीन श्रेणियों में नामांकन कर दर्ज किया है।।
जिसमें पहली श्रेणी है प्रथमवर्ग लेखक परिचय तथा गाथा के प्रशनवाचक द्वारा सवाल अंकित किए गए हैं जिन्हें हम प्रशनवाचकीय कोष्ठक भी कहते हैं जिन्हें लाल रंग के गोले (🔴) के द्वारा प्रकाशित स्तुति की गद्य के श्रोत स्तुति माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं।। दूसरी श्रेणी मध्यवर्गीय प्रश्नों की है (🔴) प्रश्न चिन्ह?
🌟प्रथम वर्ग-पद परिचय लेखक के बारे में -
🌟 गद्घ श्रृंखला (🔴) प्रशनवाचक ☝️
🌟पहली श्रेणी प्रथम वर्ग -लेखक -वासुदेव श्रीकृष्ण ☝️. ☝️लेखक का पद परिचय 👇🙏🙏🌹🌹🫂🪔🪔
लेखक परिचय पद माध्यम -मौखिक ☝️
लेखक का जन्म -३२२८ईसवीपूर्व
लेखक की मृत्यु -१३अप्रैल३०३१
लेखक के मनु अवतार के सृजनहार -माता देवीकी तथा वासुदेव
लेखक की आसीमता -कालचकृ☝️समय की आसीमता असत्य ए स्वांग बाजार का आखिरी मंजर वो आखिरी मंजर तथा आखिरी अल्फाज़

लेखक की आत्मा -असत्य ए स्वांग का बाजार ☝️
लेखक की रचना -नाट्य लोकप्रिय 👌👌
लेखक के पिता -वासुदेव
लेखक की माता -देवकी
लेखक के भाई-बलराम, लेखक की भाभी -रेवती
लेखक की बहन-सुभद्रा
लेखक की संतान -असत्य ए स्वांग का बाजार ☝️
लेखक के उपन्यास का विषय -"एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त एक वैशया और अन्य की"।।
☝️प्रथम श्रेणी उल्लेख विग्रह 👉
🔴उपन्यास के विषय पर अध्ययन प्रस्तुति पेशकश।।👉👇 लेखक _संग_प्रशवाचक🙏☝️👇(🔴👇)
#पहली_श्रेणी_प्रथम_वर्ग-(क) उपन्यास _के _विषय _पर _अध्ययन प्रस्तुति_ पेशकश।।🔴
"एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त एक वैशया और एक अन्य 👉 लेखक _आसीमता_आत्मा की आसीमता -वासुदेव श्रीकृष्ण लेखक _एक_वैशया_और एक अन्य की -परमात्मा ने आत्मा को परमात्मिका होने पर भी "कर्मपोशित कर्मपोटली स्वागिंनी नपुंसकीय आहुतिका श्रापिका विध्वंसकीय नपुंसकीय लोकोक्तिका...
आदि से प्रभावित प्रणाली में उसे स्वयं ही उसकी
आसीमता होने पर भी उन्होंने उसे"एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त व असंभव का केन्द्र सून्य बनाकर समस्त कालश्रोथ जातिश्रोत लिगश्रोथ विभकितश्रोत को उसकी नारित्व व स्त्रीत्व दोनों को ही प्राप्त कर उसकी योनि तथा चूत को अपने
मल से उत्तेजित कर तथा नायिका लैसवी वैशया लेखिका ने भी अपने लेखक वासुदेव के स्तंभ को अपने थूक से गीला किया और फिर उनका मल अपने मुंह में लेकर एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में एक वेशया और एक अन्य के द्वारा रचित श्रृंखला में रखी गई गाथा को उसकी नारित्व व स्त्रीत्व तथा धर्म व मरियादा से अनन्त के लिए एक असम्भव विलय कर लिया ताकि ना तो अस्तित्व की आसीमता की खोज व आलेख हो पाएगा और ना ही यह गाथा असत्यता का वास छोड़कर स्त्रीत्व व नारीत्व को कोई पद परिचय दे सकेगा इसलिए यह असत्य में ही गठित श्रृंखला में रखी गई है जिसमें समस्त श्रेणी में निम्नलिखित साछय होते हुए भी वह "परिचय
पद से नहीं इसलिए ना तो एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त से अन्त में होकर असंभव से संभव हो सकती और ना ही यह गाथा काभी समाप्त हो सकती है ना ठहर सकती क्योंकि वह नायक वासुदेव के कालचकृ द्वारा कर्मपोशित कर्मपोटली स्वागिंनी नपुंसकीय आहुतिका श्रापिका आदि घोषित होकर स्वागिंनी आत्मिका परमात्मिका के रूपांतरण में परिवर्तित हो जाती है और उसके बाद वो नायिका अमर सकंटी द्वारा श्रापधाम से उत्पन्न हुए कालचकृ को दिए गए अमरणीय का अनन्त व असंभव के लिए यह अमर हो चुकी है जिसके लिए अमरणीयिका कहलाई जाने के पश्चात् ही वह"शून्यनिका तथा महालोक्तिका सिद्ध गौ स्मारक सथापिका सिद्धका गोखिका सौदामिनी से प्रभावित प्रणाली में परिवर्तित व प्रस्तुत होकर ही परमात्मा की आत्मा -असत्य से ग्रस्त परमात्मिका कर्मपोशित कर्मपोटली स्वागिंनी नपुंसकीय आहुतिका श्रापिका आदि घोषित होकर स्वागिंनी ए स्वांग बाज़ारू बनकर बाजार ए स्वांग नाट्यकी बनकर कालचकृ के लिए कालचकृवी बनकर सिद्ध गाऊ स्मारक घोषित किया जाने के बाद वो नायिका ही खलनायक रजकशी के श्राप एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त व असंभव की आसीमता कालचकृ द्वारा कर्मपोशित कर्मपोटली स्वागिंनी नपुंसकीय आहुतिका विध्वंसकीय लोक्तियो सून्यनिका स्मारक घोषित एक असम्भव प्रेम गाथा में एक असंभव व अनन्त बनाकर कालचकृ अर्थात असतिव की आसीमता की उतपाकीय व स्थानीय कहकर वह समय अर्थात परमात्मा की आत्मा -असत्य से ग्रस्त परमात्मिका महालोक्तिका स्वागिंनी नपुंसकीय आहुतिका श्रापिका विध्वंसकीय कहकर एक सिद्ध शून्यनिका स्मारगीय गाऊ स्मारक घोषित होकर लेखक अर्थात समय कालचकृ अपने गर्भ में स्थापित कर इस गाथा में नायिका व नायक की आसीमता स्वांग ए बाजार में सिद्ध गाथा में वह नायिका शून्यनिका बनकर समयिका सिद्ध घोषित हुई।।🔴 स्वांग किसकी आसीमता है तंत्र
तथा तंत्र किसकी आसीमता शून्यनिका हिनका नंपुकीय आहुतिका श्रापिका कलि?🔴किसी यह आदि समस्त लोकोक्तियां?
उत्तर -सा समसत्र जगताह सा रूहम् निरंतर चक्राणी भवानि भया सा तात्पर्याणि भवानि सा समसत्रम् जगत कर्मा बीचम् नार्याणि फलम् सा लेखक गर्भाणि यद्यपि सा समसत्रम् स्वागम्यति सा रूहम् कर्मम् उद्यति व नष्टानि सा रूहम् त्यागश्शि माटिकाणि घड़म् यद्यपि सा सून्य सा रूहम् घोषित सर्वप्रथम सर्वोपरि सर्वाउत्तम वेशयाणि इसलिए सा सामाजश्य सा सर्वश्रेष्ठ सर्वोपरि सर्वोच्च सर्वप्रथम सर्वोपरि वेशयाणि।।
प्रश्न चिन्ह ( मध्यवर्गीय ) प्रश्नवाचक ☝️🔴💔🪔। गद्य श्रृंखला 📝
🔴 परमात्मा आत्मा को परमात्मिका बनने से पहले किस चीज का हिस्सा नियुक्त करते हैं?
स्वांग ए शून्य (उत्राणि)।।
🔴सा समसत्रम् स्वागम्यति प्रश्न सा प्रशनवाचक तथा लेखका रूपांत्रितानि भया सा किम् भवन्तु?
कालचक्रम् ए स्वांग बाजार नाट्य रूपांतरण।। (उत्राणि)
🔴सा लेखका सा किम् घोषिते सा दीर्घ वेशयाणि तथा सा लेखक गर्भाणि किम् सा स्वांग नाट्य रूपांतरण श्रृंखलानि भवन्तु?(समाज)।।

☝️ इस गाथा में केवल एक ही पुरूष हैं जो अनेक रूपों अगल अलग भूमिका रहा तथा एक ही सत्री भी एक ही जो एक नाट्य रूपांतरण श्रृंखला में अनेक रूपों में एक ही समय में अलग अलग तरह से क्रीड़ा सवाट्य रूपांत्रित करती है।।🌟🌟