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प्रेम क्या है?
सरल भाषा में समझा जाये
तो प्रेम एक एहसास और
अनुभूति है जिसे हम देख नहीं
सकते बस महसूस कर सकते हैं
प्रेम तो वो प्रसाद है जो सबसे
निश्वार्थ भावनासे किया जाये,
जिसमें किसी से कुछ लिया नहीं
जाता बल्कि दिया ही जाता है
इस संसार में हर कोई किसी
न किसी स्वार्थ से प्रेम करता है।
माता-पिता भी अपने बच्चों का
पालन पोषण इसलिए करते हैं
कि बच्चे बड़े होकर उनका बुढ़ापे
में सहारा बनेंगे। हर प्राणी के स्वभाव
में स्वार्थ निहित है।
प्रेम स्वतंत्रता प्रदान करता है न कि
किसी को अपने बस में करना प्रेम है
ऐसे रिश्ते जो झूठ और खोखली
बुनियाद पर टिके होते हैं एक न एक
दिन तो टूट ही जाते हैं।
किसी से जबरदस्ती प्रेम ना करें।
किसी को प्रेम करने के लिए बाध्य
और परेशान ना करें।
अगर आप अपने प्रेमी को परेशानी
और कष्ट देते हो तो वो प्यार नहीं
आकर्षण है जो कुछ दिन पश्चात
स्वत: ही चला जायेगा।
सबकी अपनी अपनी जिंदगी है
वो जिसे चाहे उसे प्यार करेगा ,
आप उसमें हस्तक्षेप नहीं कर
सकते।
एक बात ध्यान रखना जो प्यार
पागलपन और मक्कारी से प्राप्त
होता है वो प्यार नहीं बस एक
समझौता है।
इस संसार में भगवान के अलावा कोई
सच्चा प्यार नहीं करता।
हम भी नहीं क्योंकि हम
भी भगवान कीभक्ति इसलिए
करते हैं कि हमें एशो आराम
और धन दौलत प्राप्त हो।
परन्तु सच्चा प्यार तो वो होता है जो
खुदा हमसे करता है।जैसा मेरी
राधारानी मुझसे करतीं हैं।
जो बिना कुछ मुझसे चाहे अपने
असीम प्रेमको मेरे तन पर उंडेल देती हैं,
भला ऐसा प्यार
और अपनापन और कहां मिलेगा।
और जिस दिन हम भी प्रभु
से सच्चा प्यार लगे उस दिन से
तो आप सदा आनंदित रहेंगे।
मैं आशा करता हूं आप प्रेम को
भली भांति समझ चुके होंगे और
अपने जीवन में किसी
को अनावश्यक कृत्य के लिए बाध्य
नहीं करेंगे।

🙏प्रेम से बोलो जय श्री राधे 🙏





© Shaayar Satya