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बाप के कन्धें.......
एक बार एक बहस चल रही थी,बहस का विषय था लड़की पैदा होने पर खुशी होनी चाहिए या लड़का, ज्यादातर लोगों का जवाब था लड़का।हद तो तब हो गई जब एक ने कहा कि लड़की होने से बाप के कन्धें झुक जाते हैं।
मैंने पूछा क्यों भाई बेटी होने से बाप के कन्धें कैसे झुक जाते हैं उसने कहा बेटी को पढ़ाओ लिखाओ और फिर ढेर सारा दहेज देकर पराए घर भेज दो, मैंने कहा क्या बेटा शादी के बाद अपना रह जाता है, अगर अपना रहता तो इतने विरधाआश्रम क्यों चल रहें हैं , उसने कहा इसमें भी आने वाली बहु की ही कमी होती है, मैंने फिर से पूछा क्या बेटे में अपना दिमाग नहीं होता जो बीबी की ही बात सुनता है,अब तो जैसे उसकी बोलती बंद हो गई।सबकी नजरें झुक गई, मैंने कहा अगर बेटे घर की शान हैं तो बेटियां हमारा गुरुर होती हैं,जब भी कोई परेशानी आती है तो बेटियां भी साथ खड़ी होती हैं,आज के समय में पहले की तरह वो कमजोर नहीं होती,अपने बेबसी पर आंसू नहीं बहाती बल्कि बड़ी हिम्मत के साथ उसका मुकाबला करती है, कहावत यूं ही तो नहीं बनी कि हर कामयाब आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है , इसलिए मेरे भाई दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं, दोनों ही जिगर के टुकड़े है।ये बच्चे के संस्कार होते हैं कि कौन बच्चा बाप के कन्धें झुकाता है और कौन सा बच्चा बाप की हिम्मत बनता है.....…..
दोस्तों बताना मेरी बात कितनी सही है।