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गलती किसी की सजा किसी को
#रॉन्गनंबर
बड़ी ज़ोर की बारिश हो रही थी। आसमान में बिजली कड़कड़ा रही थी पर घर पर बिजली गुल थी। तभी फोन की घंटी बजी और जीत ने रिसीवर उठा के कहा हैलो, कौन है? उधर से आवाज़ आई ओह, सॉरी, रॉन्ग नंबर, और फोन रख दिया गया। जीत को दो साल पहले की वो तूफानी रात याद आ गई। उस दिन भी तो...

जीत की आंखों के आगे परत दर परत वह पुरानी सारी बातें याद आने लगी । हां आसना कितनी खूबसूरत थी और इसी रॉन्ग नंबर से हमारी दोस्ती हुई थी ।

यही बारिश थी और मै इसी बारिश में उसके इश्क में कहीं न कहीं भीग गया । इतना सोचते सोचते जीत की आंखों मैं कुछ नमी सी आ गई और ना चाहते हुए भी कुछ बूंदे बिना इजाजत बाहर निकल आई ।

जीत ने आशू पोछे और बाहर के समा को बहुत ध्यान से देखने लगा । बाहर बिल्कुल वैसे ही बारिश हो रही थी , जैसे जीत के दिल में मानो बारिश चिल्ला चिल्ला कर कह रही हो ।आज मैं सब कुछ डुबो दूंगी ।

आज सब कुछ भी बोल दूंगी और जीत का मन भी शायद कुछ ऐसा ही कह रहा था। इतना प्यार करता था वह आसना से पर कुछ चीजें हमारे हाथ में नहीं होती और सच्चाई यही है कि हम इस बात को जितनी जल्दी मान लें , उतना बेहतर होता है इतना टूट कर प्यार करने के बाद भी आशना उससे बहुत दूर चली गई ।

काश वह बारिश वाली रात नहीं होती उससे कभी आशना की यूं दोस्ती ना हुई होती तो आज जिंदगी कुछ अलग मोड़ पर होती ।

कुछ सोचते हुए जितने पुराने नंबर को खंगाल डालें पर अब उसमें आशना का नाम नहीं था ।
वह नंबर डिलीट तो उसके फोन से कब के हो गए ....

और हो भी क्यों ना , आशना को गए हुए तकरीबन 9 महीने हो गए थे ,पर यादें जीत को अभी भी घेरे हुए बैठी थी ।

मानो कह रही हो कि अभी भी आसना को तुम दुल्हन बना सकते हो । यादों के सहारे और कभी-कभी जीत का भी मन करता था । पर ऐसा हो नहीं सकता क्योंकि जो चले जाते हैं वह जिंदगी में दोबारा वापस नहीं आते हैं और गए हुए लोग अगर वापस भी आ गए ना , ... तो

एक जिंदगी में निशान रह जाती है उस जुड़ाव की और उस निशान को लेकर ताउम्र नहीं काटी जाती है । जीत अपने मन में सोच रहा था पर आशना का जाना तो कुछ अलग ही था ।

जिस दिन आशना गई वह भी ऐसे ही बारिशों वाली रात थी और जीत को अच्छे से याद है दोनों बहुत खुशी खुशी अपने घर वापस आ रहे थे ।क्योंकि दो महीने बाद उनकी शादी होने वाली थी और आंशना की शॉपिंग वह खत्म ही नहीं हो रही थी ।

अचानक रास्ते में इनकी बाइक खराब हो गई ।जीत आसपास बाइक ठीक कराने की सोच रहा था । तभी कुछ लोग कार से आए और आसना को कार जबरदस्ती गाड़ी में बिठा कर ले कर चले गए ।

जीत बस उस बरसात वाली रात में यूं ही गाड़ी को जाता हुआ देख रहा था । क्योंकि उस सड़क पर और कोई गाड़ी नहीं थी नंबर के सिवाय उसने और कुछ नहीं नोट किया , नंबर भी आधा अधूरा और जब अगले दिन आशना मिली तो बहुत बुरी स्थिति में उसका रेप हो गया था और साथ में मर्डर भी ,

यह इतनी बुरी तरह से झकझोर ने वाली बात थी कि जीत बिल्कुल अंदर से टूट चुका था । उसने बहुत सारे पुलिस के प्रेस के बहुत चक्कर लगाए पर कुछ भी हासिल नहीं हो सकता हो सका उसकी जिंदगी बिल्कुल तार-तार हो चुकी थी उसने इस गम में वहां से निकलना ही सही समझा

उसने उस शहर को भी छोड़ दिया था । पर बरसात सूरज की किरणे, चंद्रमा सब जगह हर शहर में एक से ही होती है ।

हम उसको जुदा नहीं कर सकते और आज जीत के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा था । बरसात इतनी तेज हो रही थी । शहर अलग होते हुए भी उसे आशना के उसी यादों में कहीं ना कहीं डूब ऊपर जा रहा था ।


जीत उससे दूर जाना चाह रहा था पर ऐसा होता है क्या शायद नहीं और आज भी ठीक वैसे ही फोन बजे और अगले तरफ से रॉन्ग नंबर कहकर किसी ने फोन काट दिया । आशना के वक्त भी यही हुआ था ।

पर आशना ने 5 मिनट के बाद वापस से कॉल किया और जीत और इसकी बातें शुरू हो गई थी , ना चाहते हुए भी जीत उस फोन के पास काफी देर तक बैठा रहा ।

उसे लग रहा था शायद आशना फिर से कॉल करेगी और उसकी वही बातें फिर से शुरू हो जाएंगे ,पर मरे हुए लोग कभी वापस नहीं आते दिल अंदर से जानता है मन जानता है पर भावनाओं का क्या वह तो उड़ कर कहीं भी चली जाती है , चाहे इस लोक चाहे परलोक को मिलकर वापस आ जाती हैं ।

जीत के साथ ठीक वैसे ही हो रहा था वह बार-बार खिड़की के पास अपने उस फोन को एक बार देख लिया कर रहा था 5 मिनट बीत गए ,10 मिनट बैठ गए ,और तकरीबन 5 घंटे बीत गए न जाने क्यों जीत को फिर से उस रॉन्ग नंबर का इंतजार था । जो शायद कभी नहीं आने वाला था कभी नहीं । गलती किसी ने की और सजा उम्र भर के लिए जीत को मिल गई थी।
© Meeru