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मौत के बाद का सच भाग 1 (पार्ट 3)
3) होश का स्तर तय करता गति

प्रथम तीनों अवस्थाओं के कई स्तर है। कोई जाग्रत रहकर भी स्वप्न जैसा जीवन जिता है, जैसे खयाली राम या कल्पना में ही जीने वाला। कोई चलते-फिरते भी नींद में रहता है, जैसे कोई नशे में धुत्त, चिंताओं से घिरा या फिर जिसे कहते हैं तामसिक।

हमारे आसपास जो पशु-पक्षी हैं वे भी जाग्रत हैं, लेकिन हम उनसे कुछ ज्यादा होश में हैं तभी तो हम मानव हैं। जब होश का स्तर गिरता है तब हम पशुवत हो जाते हैं। कहते भी हैं कि व्यक्ति नशे में व्यक्ति जानवर बन जाता है।

पेड़-पौधे और भी गहरी बेहोशी में हैं। मरने के बाद व्यक्ति का जागरण, स्मृति कोष और भाव तय करता है कि इसे किस योनी में जन्म लेना चाहिए। इसीलिए वेद कहते हैं कि जागने का सतत अभ्यास करो। जागरण ही तुम्हें प्रकृति से मुक्त कर सकता है।
@ratkahumsafar ✍️✍️

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