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माता पिता का स्नेह
मैं अनुराग कुमार शर्मा इस रचना में अपने एक बहुत अद्भुत अनुभव का चित्रण करने की कोशिश कर रहा हूं, उम्मीद है आप सभी को मेरी लेख पसंद आएगी।
ये घटना है मेरे स्नातकोत्तर की शिक्षा पूर्ण होने के पश्चात की है। मेरी एक उद्योग में नौकरी लगी और मैंने शीघ्र ही घर छोड़कर नौकरी करने बाहर चला गया। नौकरी करने के दौरान घर से रोज रोज संदेश आने लगे, रोज खान पान, स्वस्थ, रोजमर्रा की जरूरत पूछे जाने लगा। शुरुआत में मुझे ये एहसास हुआ कि नौकरी करने से आपकी इज्जत घर में बढ़ जाती है, अगर आप पैसा कमा रहे हैं तो आपको घर में अधिक इज्जत मिलेगी। परंतु एक दिन घर पर बात करते समय मुझे अपने पिता के शब्द पर गौर किया तो समझ आया कि उन्हें हमारी चिंता है और वो इसलिए है की उन्होंने हमे की इतनी जिम्मेदारी में नहीं देखा है। हमारे कंधो पर नई जिम्मेदारी देख, उन्हे चिंता रहती है की मेरा पुत्र इसे पूर्ण करते करते कही अस्वस्थ न हो जाए। वो नहीं चाहते हमारे पुत्र को किसी प्रकार की कष्ट हो। और इसलिए हमारा कर्तव्य बनता है की हम अपनी सफलता से अपने माता पिता का सर गर्व से ऊंचा करें।

मैं अपनी इस छोटी सी लेख से अपने और दुनिया में जितने माता पिता है सबको धन्यवाद देना चाहता हूं।