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तीन बेटियाँ, अभिशाप या वरदान
घर के बाहर से ऑटो पकड़ कर जैसे तैसे अपने शहर की गाड़ियों से खचाखच भरी सड़कों को पार करके किसी तरह रेलवे स्टेशन पहुँचा। आज फिर समीर एक लंबे सफर पर जाने के लिए निकला था। स्टेशन पहुँच कर पूछताछ खिड़की से मालूम पड़ा कि उसकी ट्रेन एक घण्टा बाद आएगी। उस एक घण्टे के समय को काटने के लिए समीर ने सोचा क्यों न स्टेशन पर थोड़ी चहलकदमी कर ली जाए। थोड़ी देर चहलकदमी करने के बाद उसे अहसास हुआ कि अभी भी ट्रेन के आने मैं पचास मिनट बाकी थे। इसी को सोच कर वो वेटिंग रूम में जाके बैठ कर बाकी लोगों के जैसे अपनी ट्रेन का इंतज़ार करने लगा। जब ट्रेन के आने का की घोषणा हुई तब उसके मन को एक अलग ही खुशी की अनुभूति हुई। ट्रेन के आते ही वह तुरंत उसमें चढ़ गया और अपनी निर्धारित सीट पर पहुँच कर अपना समान वहाँ रख कर बैठ गया। चंद मिनटों में ट्रेन उस स्टेशन को छोड़ आगे बढ़ चली। अपने समीर ने गौर किया उसके सामने वाली सीट पर एक परिवार बैठा था। परिवार में पति पत्नी के अलावा उनकी तीन...