हमारा ख़ुद में विश्वास
विश्वास आख़िर ये विश्वास है क्या?क्या है इसकी परिभाषा और क्या है इसकी आशा। क्या य़ह दूसरों पर ज़्यादा करना चाहिए या ख़ुद पर आज़माना चाहिए बस इसी विषय पर मेरी कलम मुझे लिखने के लिए उकसाती है, य़ह विश्वास की परिभाषा समझते समझते आती है। जब हम किसी पर हद्द से ज़्यादा विश्वास करने लगते हैं अक्सर वही आपके साथ विश्वासघात कर बैठता है। मैं य़ह नहीं कहती आप किसी पर विश्वास ही मत...