डरावनी हवेली में काली छायाएं..✍️✍️
रात का समय, घडी की सुइयों में लगभग बारह
बज चुके थे । राहुल अपने आफिस से घर लौट
रहा था क्योंकि आज आफिस में काम ज्यादा
होने के कारण वह घर आने में लेट हो गया था।
रात ज्यादा होने के कारण वह अपने आप को
थोड़ा असहज महसूस कर रहा था। उसकी बाइक भी मध्यम गति से चल रही थी। उसके आफिस का रास्ता एक जंगल से होकर जाता था। ठंडी ठंडी हवा चल रही थी। मौसम भी पूरा साफ था। चारों तरफ चांदनी बिखरी हुई थी।
पत्तियों और पौधों की सरसराहट हो रही थी।
जिससे उसके मन में हलचल हो रही थी। परंतु वह धैर्य बांधकर आगे बढ़ रहा था। अचानक ही उसने अपने सामने किसी जानवर को बहुत तेजी से सड़क पार करते हुए देखा। उसको बचाने के चक्कर में राहुल की गाड़ी डगमगाती हुई गिरने से बची। परंतु वहां कोई जानवर नहीं था।
ये देखकर उसके माथे पर पसीने की बूंदे उभर आईं। तभी उसको पीछे से एक बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। वह बाइक...
बज चुके थे । राहुल अपने आफिस से घर लौट
रहा था क्योंकि आज आफिस में काम ज्यादा
होने के कारण वह घर आने में लेट हो गया था।
रात ज्यादा होने के कारण वह अपने आप को
थोड़ा असहज महसूस कर रहा था। उसकी बाइक भी मध्यम गति से चल रही थी। उसके आफिस का रास्ता एक जंगल से होकर जाता था। ठंडी ठंडी हवा चल रही थी। मौसम भी पूरा साफ था। चारों तरफ चांदनी बिखरी हुई थी।
पत्तियों और पौधों की सरसराहट हो रही थी।
जिससे उसके मन में हलचल हो रही थी। परंतु वह धैर्य बांधकर आगे बढ़ रहा था। अचानक ही उसने अपने सामने किसी जानवर को बहुत तेजी से सड़क पार करते हुए देखा। उसको बचाने के चक्कर में राहुल की गाड़ी डगमगाती हुई गिरने से बची। परंतु वहां कोई जानवर नहीं था।
ये देखकर उसके माथे पर पसीने की बूंदे उभर आईं। तभी उसको पीछे से एक बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। वह बाइक...