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गुलाबी ड्रेस वाली लड़की
आज दिनाँक 14 नवम्बर 2015 मैं बालदिवस के उपलक्ष्य पर शहर के ब्लाइंड स्कूल में, जो कि शहर की सीमा के बाहर सतपुड़ा के उन पहाड़ो से घिरा हुआ है, अपने सहपाठियों व शिक्षकों के साथ आया हुआ था। हम अभी नवमी कक्षा में अध्ययनरत है, उतनी दुनिया अभी नहीं देखी हमनें, पर आज मानों उस विद्यालय में जीवन का सार सिख लिया हो। इसे व्यक्त करने के लिए उसी विद्यालय की एक छात्रा का उदाहरण देना चाहूंगा, जिसने आज गुलाबी ड्रेस पहनी थी, आज उसका जन्मदिन था।
घर से दूर अपने दोस्तों के साथ वह हमेशा यहीं अपना जन्मदिवस मानती आयी है, माता-पिता का छोटी उम्र में ही देहांत हो जाने के बाद अब घर में बस दादी थी, जो उसी के साथ छात्रावास में रहती थी। इसका एक कारण यह भी था कि दादी को भी वहाँ सांकेतिक भाषा सिखाई जाती थी, क्योंकि उनकी पोती मीरा बोल व सुन नहीं सकती थी तो उन्हें भी यह सीखना जरूरी था जिससे वे आपस में बातें व ज़ज़्बात समझ सके।
दादी के द्वारा मीरा की कठिनाइयों स भरी कहानी सुनने के बाद सभी की आँखों में आँसू आ गए, कि किस तरह उस अनाथ बच्ची ने अपने जीवन में परिस्थितियों से हार नहीं मानी। वह अपनी दादी का पूरा खयाल भी रखती है। वहाँ के अध्यापकों के बताया कि वह बहुत होनहार छात्रा है, उन्हें व उनके विधायक को उस पर गर्व है।
आज इन सभी चीजों से यह सीखने मिला कि ज़िंदगी कभी-भी वैसी नहीं मिलेगी जैसी आप चाहते हो, आप को स्वयं अपने कार्यों से उसे उस मुकाम तक ले जाना होंगा।
@Shivamsarle

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