IIस्वाहाII
एक गृह प्रवेश की पूजा में गया था,
पंडितजी पूजा करा रहे थे।
पंडितजी ने सबको हवन में शामिल होने के लिए बुलाया। सबके सामने हवन सामग्री रख दी गई। पंडितजी मंत्र पढ़ते और कहते, “स्वाहा।”
लोग चुटकियों से हवन सामग्री लेकर अग्नि में डाल देते, गृह मालिक को स्वाहा कहते ही अग्नि में घी डालने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई।
हर व्यक्ति थोड़ी सामग्री डालता, इस आशंका में कि कहीं हवन खत्म होने से पहले ही सामग्री खत्म न हो जाए, गृह मालिक भी बूंद-बूंद घी डाल रहे थे । उनके मन में भी डर...
पंडितजी पूजा करा रहे थे।
पंडितजी ने सबको हवन में शामिल होने के लिए बुलाया। सबके सामने हवन सामग्री रख दी गई। पंडितजी मंत्र पढ़ते और कहते, “स्वाहा।”
लोग चुटकियों से हवन सामग्री लेकर अग्नि में डाल देते, गृह मालिक को स्वाहा कहते ही अग्नि में घी डालने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई।
हर व्यक्ति थोड़ी सामग्री डालता, इस आशंका में कि कहीं हवन खत्म होने से पहले ही सामग्री खत्म न हो जाए, गृह मालिक भी बूंद-बूंद घी डाल रहे थे । उनके मन में भी डर...