अनहोनी (टाइपराइटर)
कार अंधेरी रात के माध्यम से चलती है, यह चमकती हेडलाइट, आने वाले ट्रैफ़िक को चेतावनी देती है, रमेश ने इंजिन को और अक्सेलेरेट किया, कार की गति काफ़ी तेज़ हो गई ऐसा लग रहा है मानो वो हवा में उड़ रही हो, 800 - हॉर्स पावर की मक्लारेन एम-12 एक तेज़ रफ़्तार कार है जिसने 1960 के दशक में अनगिनत रेस जीती है । रमेश की ये मन पसंद कार उसे उसके दोस्त हेनरी ने बेची है, रमेश को कारों का बहुत शौक है, उसके बड़े से बंगले के बड़े से गैरेज में पहले से ही उसके मक्लारेन कलेक्शन की कई गाड़ियां मौजूद है। रमेश के पिता एक सफल बिज़नस मैन हैं इंग्लैंड में उनके पास यहां अरबों की सम्पत्ति है, रमेश उनका इकलौता लड़का है और मैं हूँ जेनिफर ब्राउन। रमेश की मंगेतर और होने वाली बीवी हम दोनों ने दो साल पहले ही सारे परिवार वालों की उपस्थिति में सगाई कर ली, मैं लंदन की रहने वाली हूँ मेरा भी पारिवारिक बिज़नस है जिसे मेरे पिता और भाई चलाते हैं । हम लोग इंग्लैंड के दौरे पर निकले हैं काफ़ी दिनों के बाद। हमने इंग्लैंड के छोटे कस्बों से होकर गुजरने का प्लान बनाया था ताकि वहां के लोगों का रहन सहन और व्यापार के लिए उचित स्थान देखते चलें। हम कई जगह से होते हुए गुज़रे और आज पूरा दिन होटल में आराम करने के बाद शाम को सफ़र करने का मन बनाया।
"थोड़ा धीरे चलाओ रमेश कहीं कोई गाड़ी के नीचे न आ जाए", मैंने रमेश की ओर देखते हुए कहा।
"घबराओ मत कुछ भी नहीं होगा, इस कार से बेहतर पकड़ और किसी कार में नहीं है", रमेश ने आश्वासन देते हुए कहा।
"वो सब तो ठीक है लेकिन इसकी रफ़्तार कुछ ज़्यादा नहीं है", जेनिफर ने एक बार फिर से ऐतराज जताते हुए कहा।
" ये तो इसकी नॉर्मल रफ़्तार है, अभी तो ये और रफ़्तार पकड़ सकती है ", रमेश ने जेनिफर की ओर देखते हुए कहा।
रमेश ने जेनिफर की बातों पर ध्यान नहीं दिया और अपनी रफ्तार कम नहीं की। जेनिफर ये देख बार बार बोलती रह गई कि रफ़्तार कम करो पर रमेश ने कान में जैसे रूई ठूस ली हो। यह रमेश की कोई नई आदत नहीं है ऐसा उसने कई बार पहले भी किया था। जेनिफर और उसके बीच जब भी झगड़ा होता है तो उसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि रमेश कभी सुनता नहीं है किसी की। फिर भी इस बार जेनिफर ने इस बात पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया ताकि झगड़ा न हो। सफर लम्बा और थकाने वाला था। दोनों बीच में बोर न हों इसलिए एक दूसरे से किसी न किसी विशेष मुद्दे पर चर्चा करते जा रहे थे।
तभी रमेश ने जेनिफर की ओर देखते हुए कहा "अच्छा जेनिफर वो वाली कहानी सुनाओ न जो तुमने कॉलेज टूर पर हमारे दोस्तों को सुनाई थी, रास्ता लम्बा है और इसे काटने के लिए कोई न कोई बातचीत तो होनी ही चाहिए, तुम्हारी कहानी सुनकर मुझे नींद भी नहीं आएगी और सफ़र भी आसानी से कट जायेगा", रमेश ने जेनिफर से अनुरोध किया और उसके अनुरोध को जेनिफर ठुकरा न सकी।
" ठीक है मैं कहानी सुनाने को तैयार हूँ लेकिन मेरी भी एक शर्त है अपने कार की स्पीड थोड़ी कम कर दो ताकि मेरी घबराहट थोड़ी कम हो जाए और मैं तुम्हें आराम से कहानी सुना सकूँ ", जेनिफर ने मौके का फायदा उठाते हुए रमेश से कहा। रमेश उसकी बात मान गया और उसने अपनी रफ़्तार कम कर ली। ये देख जेनिफर के जान में जान आई और उसने अपनी कहानी को सुनाना शुरू कर दिया।
" बात उन दिनों की है जब हमारी दुनिया में कंप्यूटर से ज़्यादा टाइप राइटर की औकात समझी जाती थी, हर सरकारी महकमों में उसकी इज़्ज़त कंप्यूटर से कम न थी, लोग शॉर्ट हैंड टाईपिंग का कोर्स करने में ख़ुद की इज़्ज़त महसूस करते थे, उन्ही दिनों एक लड़का जिसका नाम चार्ल्स था ख़ुद को एक महान लेखक के रूप में दुनिया के सामने प्रकट करना चाहता था। उसका एकमात्र सपना यही था कि वह अपने को एक लेखक बनता हुआ देखे इसके लिए उसने काफ़ी मेहनत की, वह दिन में काम करता और रात को पढ़ाई करता था इस तरह से उसने अपनी शिक्षा पूरी की थी, इसी तरह मेहनत से एक एक पाई जमा कर के उसने अपने लिए एक सेकंड हैंड टाइप राइटर खरीदने का फैसला किया, उसने अब तक काफी पैसा इकट्ठा कर लिया था। सो वह एक दिन पुराना टाइप राइटर खरीदने के लिए बेकर स्ट्रीट की पुरानी दुकान पहुंचा जो पुरानी ऐनटीक सामानों की खरीद और बिक्री के लिए मशहूर है। उसने वहाँ कई टाइप राइटर देखे पर उनमें से उसे कोई भी नहीं जमा, अंत में उसकी नज़र दूकान के एक कोने में रखे पुराने टाइप राइटर पर पड़ी, जो देखने में तो पुराना था पर उसमें एक अजीब सा आकर्षण था और उसी आकर्षण ने चार्ल्स को भी अपनी ओर खींच लिया। चार्ल्स ने उसे एक ही नज़र में पसंद कर लिया था इसलिए उसने उस टाइप राइटर को उठाया और सीधा काउंटर की तरफ़ बढ़ गया उसका सौदा तय करने के लिए। दुकान के मालिक से उसका सौदा तय होते ही चार्ल्स ने ख़ुशी से उसका मूल्य चुकाया और उसे लेकर अपने अपार्टमेंट की ओर बढ़ गया।
चार्ल्स की खुशी का ठिकाना नहीं था, एक तरफ उसने इतनी मेहनत कर के पैसे जोड़े थे और अगर उन पैसों से ज़रूरत का सही सामान न मिले तो क्रोध आता है, लेकिन चार्ल्स को इस बात से निराश नहीं होना पड़ेगा क्यूँकि उन्ही पैसों से एक काम का सामान घर आया है इस बात की खुशी थी उसे। दूसरी ओर वह अपने मन में यह भी सोच रहा था कि इस टाइप राइटर से वह सबसे पहले किसकी कहानी लिखेगा और क्या लिखेगा। चार्ल्स मन ही मन ये सब कुछ सोच कर काफ़ी उत्सुकता का अनुभव कर रहा था। रास्ते में ही पड़ने वाली किताबों की दुकान से उसने काफ़ी ढेर से सादे पन्नों का बंडल भी ख़रीद लिया, बिना पन्ने के टाइप राइटर तो अधूरा ही था इसलिए अब जाकर चार्ल्स की खरीदारी पूरी हो गई थी और वह किसी भी चीज़ की परवाह किए बिना सीधा अपने अपार्टमेंट की ओर बढ़ रहा था। अपार्टमेंट में पहुँचते ही उसने अपने रूम का दरवाजा खोला और टाइप राइटर को अपनी स्टडी टेबल पर रख दिया।
यूँ तो चार्ल्स ख़ुद ही में रहने और अकेले समय बिताने...
"थोड़ा धीरे चलाओ रमेश कहीं कोई गाड़ी के नीचे न आ जाए", मैंने रमेश की ओर देखते हुए कहा।
"घबराओ मत कुछ भी नहीं होगा, इस कार से बेहतर पकड़ और किसी कार में नहीं है", रमेश ने आश्वासन देते हुए कहा।
"वो सब तो ठीक है लेकिन इसकी रफ़्तार कुछ ज़्यादा नहीं है", जेनिफर ने एक बार फिर से ऐतराज जताते हुए कहा।
" ये तो इसकी नॉर्मल रफ़्तार है, अभी तो ये और रफ़्तार पकड़ सकती है ", रमेश ने जेनिफर की ओर देखते हुए कहा।
रमेश ने जेनिफर की बातों पर ध्यान नहीं दिया और अपनी रफ्तार कम नहीं की। जेनिफर ये देख बार बार बोलती रह गई कि रफ़्तार कम करो पर रमेश ने कान में जैसे रूई ठूस ली हो। यह रमेश की कोई नई आदत नहीं है ऐसा उसने कई बार पहले भी किया था। जेनिफर और उसके बीच जब भी झगड़ा होता है तो उसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि रमेश कभी सुनता नहीं है किसी की। फिर भी इस बार जेनिफर ने इस बात पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया ताकि झगड़ा न हो। सफर लम्बा और थकाने वाला था। दोनों बीच में बोर न हों इसलिए एक दूसरे से किसी न किसी विशेष मुद्दे पर चर्चा करते जा रहे थे।
तभी रमेश ने जेनिफर की ओर देखते हुए कहा "अच्छा जेनिफर वो वाली कहानी सुनाओ न जो तुमने कॉलेज टूर पर हमारे दोस्तों को सुनाई थी, रास्ता लम्बा है और इसे काटने के लिए कोई न कोई बातचीत तो होनी ही चाहिए, तुम्हारी कहानी सुनकर मुझे नींद भी नहीं आएगी और सफ़र भी आसानी से कट जायेगा", रमेश ने जेनिफर से अनुरोध किया और उसके अनुरोध को जेनिफर ठुकरा न सकी।
" ठीक है मैं कहानी सुनाने को तैयार हूँ लेकिन मेरी भी एक शर्त है अपने कार की स्पीड थोड़ी कम कर दो ताकि मेरी घबराहट थोड़ी कम हो जाए और मैं तुम्हें आराम से कहानी सुना सकूँ ", जेनिफर ने मौके का फायदा उठाते हुए रमेश से कहा। रमेश उसकी बात मान गया और उसने अपनी रफ़्तार कम कर ली। ये देख जेनिफर के जान में जान आई और उसने अपनी कहानी को सुनाना शुरू कर दिया।
" बात उन दिनों की है जब हमारी दुनिया में कंप्यूटर से ज़्यादा टाइप राइटर की औकात समझी जाती थी, हर सरकारी महकमों में उसकी इज़्ज़त कंप्यूटर से कम न थी, लोग शॉर्ट हैंड टाईपिंग का कोर्स करने में ख़ुद की इज़्ज़त महसूस करते थे, उन्ही दिनों एक लड़का जिसका नाम चार्ल्स था ख़ुद को एक महान लेखक के रूप में दुनिया के सामने प्रकट करना चाहता था। उसका एकमात्र सपना यही था कि वह अपने को एक लेखक बनता हुआ देखे इसके लिए उसने काफ़ी मेहनत की, वह दिन में काम करता और रात को पढ़ाई करता था इस तरह से उसने अपनी शिक्षा पूरी की थी, इसी तरह मेहनत से एक एक पाई जमा कर के उसने अपने लिए एक सेकंड हैंड टाइप राइटर खरीदने का फैसला किया, उसने अब तक काफी पैसा इकट्ठा कर लिया था। सो वह एक दिन पुराना टाइप राइटर खरीदने के लिए बेकर स्ट्रीट की पुरानी दुकान पहुंचा जो पुरानी ऐनटीक सामानों की खरीद और बिक्री के लिए मशहूर है। उसने वहाँ कई टाइप राइटर देखे पर उनमें से उसे कोई भी नहीं जमा, अंत में उसकी नज़र दूकान के एक कोने में रखे पुराने टाइप राइटर पर पड़ी, जो देखने में तो पुराना था पर उसमें एक अजीब सा आकर्षण था और उसी आकर्षण ने चार्ल्स को भी अपनी ओर खींच लिया। चार्ल्स ने उसे एक ही नज़र में पसंद कर लिया था इसलिए उसने उस टाइप राइटर को उठाया और सीधा काउंटर की तरफ़ बढ़ गया उसका सौदा तय करने के लिए। दुकान के मालिक से उसका सौदा तय होते ही चार्ल्स ने ख़ुशी से उसका मूल्य चुकाया और उसे लेकर अपने अपार्टमेंट की ओर बढ़ गया।
चार्ल्स की खुशी का ठिकाना नहीं था, एक तरफ उसने इतनी मेहनत कर के पैसे जोड़े थे और अगर उन पैसों से ज़रूरत का सही सामान न मिले तो क्रोध आता है, लेकिन चार्ल्स को इस बात से निराश नहीं होना पड़ेगा क्यूँकि उन्ही पैसों से एक काम का सामान घर आया है इस बात की खुशी थी उसे। दूसरी ओर वह अपने मन में यह भी सोच रहा था कि इस टाइप राइटर से वह सबसे पहले किसकी कहानी लिखेगा और क्या लिखेगा। चार्ल्स मन ही मन ये सब कुछ सोच कर काफ़ी उत्सुकता का अनुभव कर रहा था। रास्ते में ही पड़ने वाली किताबों की दुकान से उसने काफ़ी ढेर से सादे पन्नों का बंडल भी ख़रीद लिया, बिना पन्ने के टाइप राइटर तो अधूरा ही था इसलिए अब जाकर चार्ल्स की खरीदारी पूरी हो गई थी और वह किसी भी चीज़ की परवाह किए बिना सीधा अपने अपार्टमेंट की ओर बढ़ रहा था। अपार्टमेंट में पहुँचते ही उसने अपने रूम का दरवाजा खोला और टाइप राइटर को अपनी स्टडी टेबल पर रख दिया।
यूँ तो चार्ल्स ख़ुद ही में रहने और अकेले समय बिताने...