...

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आतुर।
वह अंधेरे की ओट की छांव सी
पूर्णिमा की रात के गांव सी
शीतल कोमल मृदुल
चौखट की ओट से झांकती
चंचल अनुरक्त आतुर
लिबास संग ओढी हुई लज्जा
चौखट के पीछे से खिलखिलाती
हर बात...