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आभास
एक reel में ये कहानी पढ़ी थी।काफी रोचक और प्रेरणादायक लगी। बस यहां सांझा करने के विचार को त्याग नहीं पाई।
उम्मीद है आप सब को पसंद आएगी ।

*एक राजा का एक विशाल फलों का बगीचा था। उसमें तरह-तरह के फल लगते थे। उस बगीचे की सारी देख-रेख एक किसान अपने परिवार के साथ करता था और वो किसान हर दिन बगीचे के ताजे फल लेकर राजा के राजमहल में जाता था।

एक दिन किसान ने पेड़ों पर देखा कि नारियल, अनार, अमरूद और अंगूर आदि पककर तैयार हो रहे हैं।
फिर वो किसान सोचने लगा कि आज कौन सा फल राजा को अर्पित करूं?
और उसे लगा कि आज राजा को अंगूर अर्पित करने चाहिए क्योंकि वो बिल्कुल पक कर तैयार हैं। फिर उसने अंगूरों की टोकरी भर ली और राजा को देने चल पड़ा। किसान जब राजमहल में पहुंचा तो राजा किसी दूसरे ख्याल में खोया हुआ था और कुछ नाराज भी लग रहा था।

किसान ने रोज की तरह मीठे रसीले अंगूरों की टोकरी राजा के सामने रख दी और थोड़ी दूरी पर बैठ गया। अब राजा उसी ख्यालों में टोकरी में से अंगूर उठाता, एक खाता और एक खींचकर किसान के माथे पर निशाना साधकर फेंक देता।

राजा का अंगूर जब भी किसान के माथे या शरीर पर लगता था तो किसान कहता- ऊपरवाले बड़े ही दयालु हैं। राजा फिर और जोर से अंगूर फेंकता था, और किसान फिर वही कहता- ऊपरवाले बड़े ही दयालु हैं।

थोड़ी देर बाद जब राजा को एहसास हुआ कि वो क्या कर रहा है और प्रत्युत्तर क्या आ रहा है तो वो संभलकर बैठ गया और फिर किसान से कहा- मैं तुम्हें बार-बार अंगूर मार रहा हूं, और ये अंगूर तुम्हें लग भी रहे हैं, पर फिर भी तुम बार-बार यही क्यों कह रहे हो ऊपरवाले बड़े ही दयालु हैं ??

किसान बड़ी ही नम्रता से बोला- महाराज बागान में आज नारियल, अनार, अमरुद और अंगूर आदि फल तैयार थे, पर मुझे भान हुआ कि क्यों न मैं आज आपके लिए अंगूर ले चलूं। अब लाने को तो मैं नारियल, अनार और अमरुद भी ला सकता था, पर मैं अंगूर लाया।
यदि अंगूर की जगह नारियल, अनार या अमरुद रखे होते तो आज मेरा हाल क्या होता? इसीलिए मैं कह रहा था- ऊपरवाले बड़े दयालु हैं।



अक्सर ऊपरवाला हमारी कई मुश्किलों को बहुत ही हल्का करके हमें लेता है लेकिन हमें उसका आभास भी नहीं होता.........

@invest_in _krishna