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#sojourn
अचानक मैं घर से निकाल दिया गया था क्योंकि मैं समलैंगिक था। पिताजी मुझे बहुत प्यार करते थे और माँ भी। मैं अपने दोस्त के यहाँ गया और काफी दिन ठहरा रहा। अंदर से अंतरात्मा प्रतिदिन मुझे झकझोर रही थी। मुझे लगा दोस्त पर काफी बोझ क्यों दूँ। उसके रोकने पर भी मैं नहीं रूका। मैं स्टेशन पर अपना पढ़ाई जारी रखा लेकिन लोगों के पैदल की आवाज मुझे ज्यादा नहीं खटक रही थी अपेक्षाकृत घर से निकाल दिए जाने पर। रात का इंतजार करता ताकि सूकून से भारतीय प्रशासनिक सेवा की पढ़ाई कर सकूँ लेकिन सूकून तो पहले ही किसी ने मेरा छिन लिया था फिर भी मैंने हिम्मत नहीं हारी और संघर्ष किया। मैंने पैसा कमाने के लिए लिखना शुरू किया मैंने खुद के पैसों से किताब छपवाया और स्टेशन पर बाँटना शुरू कर दिया ये सिलसिला एक महीने तक चला। मैं उन पैसों से किराये के घर में रहने लगा। मैं प्रतिदिन सुबह स्टेशन पर किताब बेचने आ जाता था उस किताब में मैंने कई रोचक तथ्य व अपनी जिंदगी के पहलू को दिल से उतारा। मेरी किताब करोड़ो में बिकी। जूनून था कुछ अलग करने का। फार्म आया मैंने परीक्षा दी और सफल भी हुआ अपने प्रथम प्रयास में। घर खरीदने के बारे में सोचा फिर ख्याल आया घर पर माँ-बाप को बतला दूँ। हैं तो वो मेरे संसार ही। मैंने घर पर टेलीफोन लगाया, पापा ने फोन उठाया कैसा है तू मेरा यार? मैं काफी हैरान था सब ठीक पापा। माँ कैसी हैं? रोती हैं तुम्हारे लिऐ मैं दोबारा हैरान। पापा आपको एक बात बतानी थी मैंने भारतीय प्रशासनिक की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है और आपके बेटे की नौकरी लग गई हैं क्या वाकई। जी पापा। पापा एक घर लेने को सोच रहा था। तू घर क्यों लेगा ये भी तो तेरा घर ही हैं। अच्छी बात। तू जल्दी से घर आ जा। कहाँ है तू? आपकी दिल की गलियों में अपने परिवार को और आप सब के मोहब्बत को ढूँढ रहा हूँ। ठीक, मैं आता हूँ पापा। माँ आरती की थाल लिऐ खड़ी थी। मैं कुछ कहता इससे पहले पापा ने जो कहा मेरे पैरों तले जमीं खिसक गए। पापा ने कहा-
"मैं हमेशा से तुम्हें ऊँचे मुकाम पर देखना चाहता था इसलिए तुम्हें घर से बाहर जाने को कहा। मुझे पूरा यकीं था मेरा पुत्र जरूर कामयाब होगा और जरूर वापस आयेगा। मेरे भी आँख में आँसू थे जब मैंने तुम्हें घर से बाहर निकलने को कहा। लेकिन पापा मुझे इसका बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था मैंनें किसी को यह एहसास नहीं होने दिया।"
अब तुम आ गए सब कुशल मंगल हैं। कुछ दिन बाद? तुम बताओ शादी कब कर रहे? इतनी भी क्या हड़बड़ी है पापा। वैसे बेटा मैंने कई लड़की देखी मुझे समझ नहीं आई। कल तुम्हें किसी के घर चलना है लड़की देखने। तुम सारी सच्चाई बोलना। हमसब सदैव तुम्हारे साथ हैं। जी पापा। लड़की को सारी बात बताई गई। माहौल शांत। मसला गरम। लड़की ने हामी भर ली सबकी आँख बाहर। लड़की के परिवार वालों ने कहा बेटी ये क्या तुम कह रही? जो आपने सुना माँ। लो जी अब ये जमाना आ गया बेटी खुद तय करेगी क्या करना हैं? माँ मैं सब सँभाल लूँगी। अब क्या तुम भी मुझे घर से बाहर निकालोगी ? नहीं नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं। तुम्हारी खुशी में हमारी खुशी हैं। अच्छी बात। शादी धूम धड़ाके से हुई। परिवार के दोनों तरफ के लोग बिल्कुल खुश थे।


© Utsav Gupta (Mona)