...

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सफर ए दास्ता
भाग 1

1979 की वो सुबह जब रागिनी अपने घर से कॉलेज के लिए निकल रही थी...
कॉलेज मे उसे आज जल्दी पहुंचना था, इसलिए
आज वो आरती के घर नहीं गई..
वो सीधे कॉलेज पहुंचना चाह रही थी....
जल्दी जल्दी मे चलने की वजह उसकी चप्पल टूट गई.....
वो चप्पल हाथ मे उठाये...

मोची को ढूंढ रही थी...
पर मोची कही नहीं था...
अब उसके पास ऑटो रिक्शा के अलावा और कोई चारा नहीं था...
तभी उसे पीछे से स्कूटर के ब्रेक मारने की आवाज़ आई.....
वो पीछे पलटी....
मुड़कर देखा तो, सिद्धार्थ बिल्कुल ही पीछे था...
उसे कह रहा था कि,
"बस,अड्डे से आप अभी काफी दूर है"

और ऑटो,भी कही नज़र नहीं आ रहा
और चप्पल ने भी आपका साथ छोड़ दिया, या यू कहे दम तोड़ दिया...."
तो, आपका हमारा कॉलेज भी एक ही है !
तो, बंदा आपको, आपके कॉलेज तक लिफ्ट दे सकता है...!
अगर आप बुरा ना माने तो..."!

रागिनी ने कुछ नहीं कहा...
चुपचाप, स्कूटर के पिछली सीट पर बैठ गई...!
रागिनी दिखने बेहद, सुन्दर और दिलकश अदा वाली लड़की थी, उस समय कॉलेज का हर लड़का उससे बात करने को तरसता था....!

सिद्धार्थ भी मन ही मन बहुत ख़ुश था
आज, रागिनी जो उसके गाड़ी की पिछली सीट पर बैठी थी !

सिद्धार्थ जरा, फ़्लर्ट किस्म का, स्मार्ट किस्म का लड़का था, पर रागिनी को पसंद करता था...

रागिनी भी खूब समझती थी
सिद्धांर्थ की नज़र को

पर, रागिनी की नज़रे तो किसी...