...

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हम खिलौना क्यों हैं
नजर हटी दुर्घटना घटी, जिंदगी इतनी असहज क्यों है
सरल स्वभाव और शांत बर्ताव मूर्खता की पहचान क्यों है
सदियां गुजर गए, और कई सामाजिक सुधार भी हुए
पर लड़की आज भी इन मर्दों की बिछौना क्यों है
कहीं नजरों से शिकार तो कहीं जुबां से कटाक्ष चलाए जाते हैं
कुछ लोग सबके सामने इतने सज्जन बने घूम रहे होते है कि कोई यकीन भी न करे कि यह किसी के लिए इतना तुच्छ विचार लेकर बैठे है
ये समाज और यहां रहने वाले लोग मुखौटे के साथ घूम रहे
सबके सामने सात्विक विचार वाले व्यक्ति के लिए भी हम खिलौना क्यों हैं?
लो बात कर ली मैंने भी दो_ चार,
देख कर तुम्हारा सदाचार
पर तुम क्यों सिर्फ उस लड़की के लिए
ऐसे नजर आए जैसे कोई व्याभिचार
तुम लोगों के सामने उस लड़की के लिए इतने चिंतित और सहायक नजर आए
कि...