...

12 views

Dosti


दोस्ती कितना प्यारा सा शब्द है ना हमारी शब्दकोष का.......

लोग कुछ भी करते है दोस्तों की खातिर...

पर हर एक चीज की हद होती है वो कहते हैं ना कुछ भी बेहद अच्छा नहीं दोस्ती भी नहीं.....

ज्यादा मीठा भी कभी-कभी जुबान को कड़वा ही लगता है वैसे ही ज्यादा दोस्ती भी कभी-कभी हानिकारक होती है.....

यूं ही एक किस्सा आ रहा है दिल में आपसे सांझा करती हूं.....



वह एक रोज था जब अपना घर परिवार छोड़कर मैंने शहर अपने कॉलेज के स्टडीज के लिए आई नया शहर नए लोग अनजान से मैं कैसे उनसे मिलू कैसे अपने आपको उनका बनाऊं यही सब सवाल लिए मन में एक शाम मैं कॉलेज से अपने हॉस्टल को जा रही थी फिर हॉस्टल में जाकर पता चला कि कुछ नये बच्चे ओर भी मेरे कॉलेज के ही यहां आई है.... मन मे उत्सुकता लिए मैं उनसे मिलने जा पहुंची......

सभी पहली बार अपने-अपने घरों से कही दूर आये थे सभी को एक अकेलापन सा था हम कुछ ही दिनों मे काफ़ी अच्छे दोस्त बन गए.....

साथ ही कॉलेज जाना हसना, खाना खाना,.....

दोस्त ही होता है जो कभी आपको परिवार की कमी महसूस नहीं होने देता.... पर कहते है ना कभी भी कुछ भी परफेक्ट नहीं होता....

मुझे कुछ बहुत ही अच्छे दोस्त मिले जिनके साथ मैंने वो हॉस्टल छोड़ कर एक किराये का कमरा लेने का सोचा...

हमें कमरा दिलाने मे मेरे एक कॉलेज के दोस्त (manav)ने मदद की जो की इसी शहर का था...

हम तीनो (aarya, ankita,seema) ने साथ ही मे हॉस्टल छोड़ा ओर निकल पड़े एक नयी ज़िन्दगी के सफर पर... हम सब मे seema काफ़ी छोटी थी हमसे जबकि मैं और aarya एक की उम्र के... पर यह सफर हम सभी के लिए बिलकुल नया था.....

हम एक अनजान से शहर को अपनाने की ओर बढ़ चुके थे.... कॉलेज के पास ही मे हमें एक किराये का मकान मिला.... पर अफ़सोस अकेली लड़कियो को कोइ युही कमरा देने को राज़ी ही नहीं.... मेरे दोस्त manav ने उस वक़्त मेरा भाई बनकर हमारी गारेंटी पेपर्स पर दस्तखत किये...... और हमें शिफ्ट करने मे काफ़ी मदद भी करी.... अब हम हॉस्टल से निकल चुके थे एक नयी जगह पर एक नयी दुनिया को जीने...
© ankita mukherjee