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मेरा संस्मरण
आज दिनांक 21/4/2021को मैं डिंपल अपने करियर की एक छोटी सी यादगार बात लिख रही हूँ।यह कहानी मेरे कॉलेज की है।जब मैं बी.एड कर रही थी।जहाँ मैं शिक्षक बनने का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही थी। मेरा बी.एड का ये प्रथम वर्ष था ।मेरे  बी.एड के प्रथम वर्ष में मुझे बहुत कुछ सीखने  को मिला।मेरा कॉलेज मेरे शहर से लगभग 27 किलोमीटर दूर था ।मैं ओर मेरी सहेलिया रोजाना बस  से आना जाना करती । एक दिन कुछ लड़कियां कॉलेज के बरामदे की सीढ़ियों पर बैठी थी।मैं भी उनके पास गई ।थोड़ी देर बाद मेने कुछ गमलो के पास एक 50 पैसे का सिक्का देखा ।मेने सबसे पूछा यह सिक्का किसका है।सब ने मना कर दिया।यह बात मेने रोनिका को बोली, रोनिका ने कहा आज के जमाने मे ये 50 पैसे का सिक्का किस काम का रहने दे,होगा किसी का ये तो अब बन्द हो चुके हैं।मुझे यह बात अजीब लगी,फिर मेने उससे कहा कोई बात नही अगर यह किसीका नही है तो मैं रख लेती हूँ,और वह सिक्का मेने रख लिया ,क्या मालूम यह भी केभी काम आ जाये।कुछ दिनों बाद कॉलेज मैं एक प्रतियोगिता शुरू हुई। प्रतियोगीता के पहले दिन कहानी लेखन,कवितालेखन,आशुभाषण,चित्रकला,ग्रीटिंग कार्ड बनाना,आदि प्रतियोगिता शुरू हुई।
मेने पहले दिन कहानी लेखन,ओर ग्रीटिंग कार्ड प्रतियोगिता में भाग लिया।कहानी प्रतियोगिता में मैंने कुछ भी विचार नही किया था कि कोनसी कहानी लिखू फिर याद आया जो मेने बचपन से सुनी वरदराज की कहानी ,वही लिख दु ।मेने वही लिख दी।।
इसी तरह बाकी प्रतियोगीता भी हुई।
फिर केम्प का दूसरा दिन शुरु हुआ।हमेशा  की तरह मैं और मेरा वडापाव ग्रुप समय पर पहुँचा,लेकिन रोनिका लेट हो जाती,उसकी बस उसे समय पर नही मिल पाती और वो दूर से भी आती थी।
      हमारे ग्रुप में मैं ,ममता ,मोनिका,चिंकी,प्रियंका,पूजा,थी।लेकिन केम्प के दौरान जो ग्रुप बने वो सात सात लडकियो का बना।रोनिका को फिर हमारे ग्रुप मे जोड़ दिया।
केम्प के दूसरे दिन हमारे सर इकबाल जी औऱ हमारी मैंम प्रियंका मैंम ने एक एडवेंचर रखा ।सर ने बहुत अजीबो गरीब एडवेंचर रखा ।
इस एडवेंचर मे हमारी क्लास मे जितने भी ग्रुप थे उन सबको एक -एक बन्द लिफाफे की चिट्ठी लेनी थी। पहले तो सर ने हमे डराया ,बताया और फिर  समझाया।
सभी चट्टिया  या यूं कहें तो एक कागज या लिफाफा जिसमें कुछ लिखा था। उन लिखी हुई चीजो को इक्क्ठा करके हमे 1 बजे कृषि अनुसंधान पहुँचना है।हमारे सर ओर मेम ने एक एक ग्रुप का नंबर बोला ओर उनको कहा कि तुमको जो भी लिफाफा लेना है अपनी मर्जी से ले लो।फिर एक एक लड़की अपने अपने ग्रुप से आकर चिट्टी ली।
फिर बारी हमारे ग्रुप की आई तो उसमें मुझे आगे कर दिया चिट्टी लाने को।मैं चिट्टी लेने जा रही थी और पीछे से मेरी सहेलियां मुझको कोई अच्छी चिट्टी उठाकर लाने को कह रही थी ।स्टेज पर पहुँचकर मैं असमंजस में पड़ गई। वहां पर चार पांच चट्टियों में से कोनसी चिट्टी उठाऊ।फिर मेने एक मजेदार उपाय सोचा ,बचपन मे खेल खेलते वक्त खिलाडियो को चुनने का जो गाना इस्तेमाल करते मैने उसे ट्राई किया ।
वो था अक्कड़ बक्कड़ बॉम्बे  बो ,अस्सी नब्बे पूरे सौ, सौ में लागा धागा चोर निकालके भागा।और मेरा सौ जिस चिट्टी पर खत्म हुआ,उसको मेने उठा लिया। मेरी मेंम ने भी मुझसे पूछा तुम इसे क्या कर रही हो।मेंने कहा"मेंम मुझे एक बार सोचने तो दो ,रुको तो सही ।औऱ मैंने वो चिट्टी लेली।
मेने वह चिट्टी बिना देखे अपनी सहेलियों को दे दी ।इन सभी लिफाफो में अलग अलग 10 चीजो के नाम दिए हुए थे जिनको हमे इक्क्ठा करना था ।और सभी चीजों को इक्क्ठा करने के बाद 1 बजे हमे कृषि अनुसंधान पहुँचना था।हमे 10 बजे कॉलेज से छोड़ दिया था ।कॉलेज से छूटने के बाद हम सबसे पहले मार्केट की तरफ गए ।रास्ते में सबसे पहले हमने मेडिकल की दुकान से बैंडेज पट्टी ली जो हमारी सबसे पहली सामग्री थी।इसी तरह हमे और बाकी चीजे भी लेनी थी।फिर मार्केट से हमें सफेद मक्की के दाने किसी दूसरी दुकान से मिले।औऱ उसके बाद  हमने शक्कर के खिलौने के बारे मे पूछा नही मिला।इसके साथ ही मूंग की फली  के दाने ढूढने शुरू किया किसी भी दुकान मैं नही मिला ।
फिर यहा से हमारा ग्रुप दो हिस्सों में बट गया।पहला हम चार,मैं, मोनिका,ममता,
प्रियंका ऑटोरिक्शा से संतोषी माता के मंदिर की ओर चल पड़े ,क्योकि हमारे ग्रुप की फ़ोटो सेल्फी चाहिए थी।संतोषी माता मंदिर सुमेरपुर ओर शिवगंज के बीच में आया हुआ है,फिर वहा पहुच कर  हम ने सेल्फी ली और वही से हम ऑटो में ही शिवगंज की ओर निकल पड़े ।जो केवल 5 मिनट का मार्ग है ।वह हमें बाकी की दो तीन चीजे ओर मिल सकती थी।क्योंकि शिवगंज विश्व का मानो एक छोटा मिनी मार्केट हो।
शिवगंज मार्केट मे पहुचने के बाद हमे कुकर  की 2 नंबर वाली पिन तो आसानी से मिल गयी, लेकिन वह ज्यादा समय शक्कर के खिलौने ढूढने में लगा।कई दुकानों के चक्कर लगाने पर फिर किसी एक छोटी सी दुकान पर शक्कर के खिलौने  मिले।वह भी मेने अपनी मस्ती जाहिर की वैसे पहली बात तो ये की उस दुकान का मालिक अपना सामान छूटकर न बेचकर थोक बंदी बेचते थे । वे पहले तो देने के लिए राजी नही हुए फिर उन्हें बताया कि हमे किसलिए चाहिए ।फिर वो मान गए ।उन्होंने 10 रुपये के दो खीलोंने  दिए।हम मान गए ।फिर वो कुछ खिलोने लेकर आये मेने उन खिलोने में से एक हाथी ओर एक देवी वाला शक्कर का खिलौना लिया ।
फिर हम मूंग की फली का पूछने के लिए सब्जियों की दुकान और लारियों पर चले गए ।लेकिन हमें वह नही मिली।हमे ये चीजें कहि नही मिली।
फिर हम वापस रवाना हुए सुमेरपुर को.......
हमारे ग्रुप का दूसरा हिस्सा पूजा और चिंकी स्कूल मे जो सुमेरपुर से थोड़ी बाहर थी,जिसको देखा भी नही था वह फार्म भरवाकर औऱ प्रिंसिपल के हस्ताक्षर करवा कर लौट आई। इधर से ये दोनों आते वक्त जिस टैम्पो में बैठी थी।उसने पूछा क्या हुआ,तो अपनी बात बताई की हमे प्रतियोगिता के लिए सारी चीजें मिल गयी है,बस वो फली नही मिली।खुशकिस्मती से टेम्पो वाले ने कहा कि ये तो मेरे घर मिल जाएगी।उसने उन दोनों को मार्किट मैं ही उतारा और अपने घर वो फली लेने चला गया।
इधर हम चारो कृषि अनुसंधान पहुच चुके थे और इनका बाहर ही इन्तेजार कर रहे थे।बस हमे  तीन चीजे और चाहिए थी।  उन दोनों को वो मूंग की फली मिल चुकी थी।इधर अब रोनिका जो हमेशा की तरह लेट आती थी ।वो कॉलेज  न आकर सीधे 12 बजे सुमेरपुर बाजार आ गयी ।हमने उसको फोन किया कि हमे ये चीजें मिल गयी है,ओर बस दो चीजें ओर बाकी है।रास्ते मे आते वक्त पंजाब नेशनल बैंक के एटीएम  से आज की तारीख की रसीद चाहिए थी।वो लेकर आ गयी।
इधर थोड़ी देर बाद वो तीनो एक साथ ही   सर की बताई जगह पहुँच गयी।  फिर हम सातो कृषि अनुसंधान के अंदर चले ।अंदर वहा सर  और मेंम सबके ग्रुप के लिफाफे मैं लिखी  चीजे चेक कर रहे थे ।जो ग्रुप सबसे पहले और सारी चीजें लेकर आएगा उसको उसके हिसाब से नंबर देंगे । हम सब सर के पास गए सर किसी ओर ग्रुप को देख रहे थे ।जो हमसे पहले आया था उनके बाद सर ने हमारे से वो कागज का लिफाफा लिया ।ओर सर ने एक एक चीजे चेक की सबसे पहले सर ने समय को लिखा उसके बाद सर ने एक एक चीजे मंगवाई।
1.शक्कर के खिलौने 
2.कुकर की दो नंबर वाली पिन
3.मूंग की फली
4.उस इलाके के आस पास संतोषी माता मंदिर के साथ एक सेल्फी फ़ोटो वो भी ग्रुप की चार लड़कियों के साथ मैं
5.पंजाब नेशनल बैंक की रसीद
6.बेन्डेज पट्टी
7.किसी स्कूल मे एक फार्म भरवाकर उस पर प्रिंसिपल हस्ताक्षर
8.सफेद मक्की के दाने
9.50 पैसे का सिक्का
10.दो सेफ्टी पिन
इस तरह हमारे पास सभी चीजें एक एक करके सर को बताई बस एक चीज थी जो रह गयी थी 50 पैसे का सिक्का,जो मेरे पास ही था 50 पैसे का सिक्का  जो मुझे मिला। मेने वह सिक्का निकालकर सर को दे दिया।


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