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kirdaar
कहते हैं ना की वक़्त के साथ साथ कई किरदार बदलते हैं, कुछ बिगड़ते हैं तो कुछ सुधरते हैं, पर हर कहानी में कुछ किरदार अहम होते हैं, और शायद इतने अहम की वक़्त की उड़ती रेत मे चाहे कितने ही दूर उड़ कर क्यूँ ना चले जाए, पर अपना कुछ हिस्सा समुंदर के पानी में छोङ ही जाते हैं।

बेशक वक़्त बदलता है, जिंदगियां भी, और साथ साथ जरूरते भी, पर उन पुराने किस्सों की यादें दिल के किसी कोने में हमेशा घर कर बैठी होती हैं, जो यूँ आम तौर पर तो सबसे छिपकर रहती हैं, मगर उस चांदनी रात में, जब वो शख्स अकेले किसी कोने में बैठे, ख्यालों में डूबे हुए महज खुद के लिए वक़्त निकाल रहा होता है,

हाँ! बस उसी पल में वो बरसों से दफ़्न यादें जहन में वक़्त से भी तेज रफ्तार में दोड़ने लगती हैं, हम उन लम्हों को वापिस कैद तो नहीं कर सकते , और ना ही उन यादों को रोक सकते हैं, और फिर वही यादें जब जहन में भारी होने लगती हैं ना, तो बारिश की बूंदो जैसे आँखों का सहारा लेकर निकलने लगती हैं।
और ये सिलसिला यहीं पर ठहरता नहीं,
हर रोज़ वो पल वक़्त की कैद से रिहा होकर, अतीत की कुछ यादें समेटे हुए लौट आता है, आपके पास;

और फिर वही सिलसिला...............!

अजीब होती हैं ना ये यादें भी, एक वक़्त था जब हम उस लम्हे में पूरी जिंदगी गुजार देने को तैयार हुआ करते थे, और एक वक़्त आज का है, जब वही लम्हा याद आता है तो, बस वो एक पल हमसे सुकूंन से गुजरता नहीं।