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मेरे बैठक की मेज ▫️🟫
कहा जाता है की जीवन में छोटी बातें और चीजें महत्वपूर्ण नहीं होती.....हम हमेशा बड़ी बातों और बड़ी चीजों को ही लूटने में लगे रहते है...
लेकिन आज सुबह मुझे महसूस हुआ की चाहे इंसान हो या सामान वो अपनी जगह बना ही लेता है....और उसके बिना अधूरापन सा अपनेआप हो जाता है.....मेरे बैठक में कल रात से मेज नहीं था...रात को खाने की थाली लेकर गई तो लगा जैसे कुछ है ही नहीं इस कमरे में कैसे खाऊँ ,या किस चीज का सहारा लूँ......वसे तो में अक्सर बिना मेज पर थाली रखकर खाती हूं मगर कल लगा जैसे कुछ कमी है.....और सुबह तो हाथ में झाड़ू लेकर जैसे ही लगाते लगाते आगे बढ़ी हाथ अपने आप आगे बढ़ गया जबकि वहां कुछ था ही नहीं मगर मेज को हटाकर ही तो सफ़ाई से झाड़ू लगती है.......😁बात छोटी सी थी मगर उस समय मुझे लगा की हम उन आदतों की बातें तो करते हैं जिसमें हम खोए हुए है...मगर उन आदतों का क्या जो रोज बिना कहे बिना बोले हमारे अंदर शामिल हो जाती है...इसलिए जीवन में जरूरी नहीं की जो हमे दिख रहा हो हम सिर्फ उतने में सीमित है...कुछ चीजें हमारे अंदर दबी है उस मेज की तरह जिसको महसूस करने की जरूरत है वो हमे अपने आप समझ आ जाएगी...जिस तरह एक कील नहीं मिलती तोएक बड़ी फोटो भी कोने में पडी रहती है...उसी तरह अगर में छोटी सी बातें ना कहूँ तो आप बड़ा कैसे सोचेंगे.....हर चीज जरूरी है खुद के लिए और खुदको समझने के लिए....🙃
© Palak