एक और मौत
#नोमेमोरी
एक और मौत.... !
रुपहले पर्दे के पीछे का सच
मैने मेकअप रूम के दरवाजे को नॉक किया था, कि तभी अंदर से लीना मेम की आवाज़ आई....
कौन हैं....?
मेम मै सुमित.... आपको स्क्रिप्ट देने आया हूं मेम.... !
ओह सुमित अंदर आ जाओ डोर खुला हैं...
जी मेम.... इतना कहते ही मै दरवाजे को धकेलता हुआ अंदर दाखिल हो गया था... रूम तक पहुंचने के लिए एक 5×3 की गैलरी थी जिसके आगे चल कर 10×10 का रूम था.. मै तेज़ क़दमों से जैसे ही अंदर पहुंचा तो ड्रेसिंग टेबल के आईने के सामने चेयर पर लीना मेम अपने चेहरे पर फाउंडेशन ब्रश के सहारे कर रही थी.... उनके शरीर पर कोई भी कपड़ा नहीं था ड्रेसिंग आईने के चारो तरफ लगी दूधिया लाइटों की रौशनी मै उनका शरीर बेहद दमक रहा था.... जो सामने आईने मै साफ दिखाई दें रहा था... उन्हें इस हालत मे देख मै दंग रह गया और मै बाहर जाने को फ़ौरन पलटा ही था....
रुको..... !
उनके आदेश भरे शब्दो को सुन कर मेरे कदम ठिठक गए थे....
क्या हुआ...?
जी कुछ नहीं में बाद में आता हूं.
इधर आओ.... उन्होंने कड़े लहज़े में मुझें आदेश दिया था... वो इस फ़िल्म की हीरोइन के साथ -साथ प्रोडूसर भी थी.... जिनका आदेश मै टाल नहीं सकता था.... मै जब तक उनके पास पहुंचा तब तक वो उसी अवस्था में खड़ी हो चुकी थी... मै नज़रे झुकाये उनके सामने खड़ा था....
मेम मेरे कंधो पर दोनों हाथ रखते हुए बोली थी....
तुम यहां डाइरेक्टर बनने आये हो...?
जी... मेम.
ऐसे कैसे डाइरेक्टर बनोंगे...?
मै चुप रहा.... मेम गहरी सांस भरते हुए बोली थी...
सुमित तुम स्मार्ट और हेंडसम भी हो तुम चाहो तो इस पर्श नाल्टी का इस्तेमाल कर सकते हो.
में चुप रहा क्योंकि मेरी पर्श नाल्टी ही ऐसी ही थी... लेकिन में इसे अपनी मंज़िल की सीढ़ी नहीं बनाना चाहता था....
जिसके चलते मेम मेरे सपनो को सवारने का ऑफर दें रहीं थी..
कहा खो गए....?
क..... कही नहीं मेम....
फिर क्या सोच रहें हो...? उनके चेहरे पर...
एक और मौत.... !
रुपहले पर्दे के पीछे का सच
मैने मेकअप रूम के दरवाजे को नॉक किया था, कि तभी अंदर से लीना मेम की आवाज़ आई....
कौन हैं....?
मेम मै सुमित.... आपको स्क्रिप्ट देने आया हूं मेम.... !
ओह सुमित अंदर आ जाओ डोर खुला हैं...
जी मेम.... इतना कहते ही मै दरवाजे को धकेलता हुआ अंदर दाखिल हो गया था... रूम तक पहुंचने के लिए एक 5×3 की गैलरी थी जिसके आगे चल कर 10×10 का रूम था.. मै तेज़ क़दमों से जैसे ही अंदर पहुंचा तो ड्रेसिंग टेबल के आईने के सामने चेयर पर लीना मेम अपने चेहरे पर फाउंडेशन ब्रश के सहारे कर रही थी.... उनके शरीर पर कोई भी कपड़ा नहीं था ड्रेसिंग आईने के चारो तरफ लगी दूधिया लाइटों की रौशनी मै उनका शरीर बेहद दमक रहा था.... जो सामने आईने मै साफ दिखाई दें रहा था... उन्हें इस हालत मे देख मै दंग रह गया और मै बाहर जाने को फ़ौरन पलटा ही था....
रुको..... !
उनके आदेश भरे शब्दो को सुन कर मेरे कदम ठिठक गए थे....
क्या हुआ...?
जी कुछ नहीं में बाद में आता हूं.
इधर आओ.... उन्होंने कड़े लहज़े में मुझें आदेश दिया था... वो इस फ़िल्म की हीरोइन के साथ -साथ प्रोडूसर भी थी.... जिनका आदेश मै टाल नहीं सकता था.... मै जब तक उनके पास पहुंचा तब तक वो उसी अवस्था में खड़ी हो चुकी थी... मै नज़रे झुकाये उनके सामने खड़ा था....
मेम मेरे कंधो पर दोनों हाथ रखते हुए बोली थी....
तुम यहां डाइरेक्टर बनने आये हो...?
जी... मेम.
ऐसे कैसे डाइरेक्टर बनोंगे...?
मै चुप रहा.... मेम गहरी सांस भरते हुए बोली थी...
सुमित तुम स्मार्ट और हेंडसम भी हो तुम चाहो तो इस पर्श नाल्टी का इस्तेमाल कर सकते हो.
में चुप रहा क्योंकि मेरी पर्श नाल्टी ही ऐसी ही थी... लेकिन में इसे अपनी मंज़िल की सीढ़ी नहीं बनाना चाहता था....
जिसके चलते मेम मेरे सपनो को सवारने का ऑफर दें रहीं थी..
कहा खो गए....?
क..... कही नहीं मेम....
फिर क्या सोच रहें हो...? उनके चेहरे पर...