जिम्मेदारी
कुछ लोग अपनी जिम्मेदारी को बोझ समझते हैं तथा कुछ लोग इसे अपने जीवन का उद्देश्य तथा अपनी जिम्मेदारी को अपना कर्म और कर्तव्य मानते हैं। यहाँ सवाल यह नहीं है कि कौन इसे क्या समझता हैं बल्कि सवाल यह है कि आखिर एक ही बात के लिए भिन्न – भिन्न नजरिया अपनाने से क्या प्रभाव पड़ता है ।
बोझ या जीने का उद्देश्य– हर काम के साथ ही जिम्मेदारी जुड़ी रहती है । अगर कहें कि जिम्मेदारी को ढंग से पूरा किये बिना किसी भी कार्य की सफलता की उम्मीद ही बेमानी है‚ तो यह गलत नहीं होगा । जिम्मेदारी को यदि स्वयं समझ कर पूरा किया जाये तो आत्म सन्तुष्टि, आनन्द और उल्लास महसूस होगा और जिम्मेदारी यदि पूरी करनी पड़ती है तो 'चलो यह काम भी पूरा हुआ' का अहसास हाथ आयेगा । अब यह बात तो स्वयं विचार करने की है कि काम जिम्मेदारी से होना चाहिए या बोझ समझ कर… और काम करने के बाद आप कैसा महसूस करना चाहते हैं…
जिस तरह किसी व्यक्ति की चर्चा के समय उसकी छवि ध्यान में आती है जिसमें उस व्यक्ति के आकार–प्रकार‚ उसके व्यवहार और उसके आचरण व परस्पर सम्बन्ध इन सभी बातों का अहसास होता है ।
जब चर्चा किसी बच्चे की हो तो उसकी मासूमियत‚ उसकी शरारतें उसका भोलापन इत्यादि स्मरण हो आता है । बात किसी मित्र या सज्जन की हो तो उसकी सज्जनता‚ उसका आचरण‚ उसका व्यवहार ध्यान में आता है और चर्चा अगर किसी शत्रु की हो तो उसकी ताकत‚ उसके...