माँ की याद मे,
#PREEET
पहले बात अलग थी रूठना मनाना चलता था
माँ के आँचल तले कभी PREEET पलता था
पहले जब माँ से झगड़े हो जाते थे फिर माँ ही समझाया करती थी
अपने झुर्रियो भरे हाथों से माँ खाना खिलाया करती थी
अब जो रूठी तो कभी भी वापिस आई नही
PREEET पहले जो माँ रूठ जाती थी तो मान जाया करती थी
बचपन की वो कहानी थी , कभी साथ दादी नानी थी
कभी पानी पर जहाज चलाये थे , कागज के वो बनाये थे
कभी पहली रोटी हमारी होती थी , माँ कितने सपने संयोती थी
कभी मुस्कुराट मे दिन बिताते थे , फिर पापा डांट सुनाते थे
कभी माँ पिटती थी तो रोते थे , जो कभी रोते थे तो PREEET माँ मारती थी
कभी थोड़े से बिमार गर हो जाते थे तो माँ कैसे कैसे नजर उतारती थी
PREEET पहले जब आखों में आंसू आते थे तो माँ याद आती थी आज माँ याद आती है तो आखों मे आंसू आ जाते है
जिन्दगी भी अजीब है PREEET गमों की कोई भी भरपाई नही देती
आज शाम को वापिस जब घर आते है तो घर पर माँ दिखाई नहीं देती ...
पहले बात अलग थी रूठना मनाना चलता था
माँ के आँचल तले कभी PREEET पलता था
पहले जब माँ से झगड़े हो जाते थे फिर माँ ही समझाया करती थी
अपने झुर्रियो भरे हाथों से माँ खाना खिलाया करती थी
अब जो रूठी तो कभी भी वापिस आई नही
PREEET पहले जो माँ रूठ जाती थी तो मान जाया करती थी
बचपन की वो कहानी थी , कभी साथ दादी नानी थी
कभी पानी पर जहाज चलाये थे , कागज के वो बनाये थे
कभी पहली रोटी हमारी होती थी , माँ कितने सपने संयोती थी
कभी मुस्कुराट मे दिन बिताते थे , फिर पापा डांट सुनाते थे
कभी माँ पिटती थी तो रोते थे , जो कभी रोते थे तो PREEET माँ मारती थी
कभी थोड़े से बिमार गर हो जाते थे तो माँ कैसे कैसे नजर उतारती थी
PREEET पहले जब आखों में आंसू आते थे तो माँ याद आती थी आज माँ याद आती है तो आखों मे आंसू आ जाते है
जिन्दगी भी अजीब है PREEET गमों की कोई भी भरपाई नही देती
आज शाम को वापिस जब घर आते है तो घर पर माँ दिखाई नहीं देती ...