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बतकही- मिश्री सा नमक ….
मिश्री सा नमक …

ये जो मिश्री सा मीठा दाना देख रहे हो ना आप, साहब ये वही नमक है जो किसी मेहनतकश के बदन से निकलता है तो पसीना बन जाता है और जब ये किसी उल्फत या मुफ़लिसी के मारें बंदे की आँखों से बहता है तो आँसू हो जाता है।

जानते हो साहब, इस नमक की क़ीमत हम कभी चूका ही नहीं सकते ये कोई आम चीज़ नहीं है कि इसकी ख़रीद फ़रोख़्त करके हम ख़ुद को लाजवाब समझने लगें…अजी, ये तो वो अनमोल तोहफ़ा है जिससे ख़ुद हमें कुदरत ने नवाज़ा है।

इसकी क़ीमत...