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सुखी जीवन????
तुम क्या समझते हो
ऊंचे महल मीनारों में
कोठी बंगला और कारों में
रूपयों से भरी तिजोरी में
सुखी जीवन बसता है,,,?
ये सब तो एक आवरण है
जो ढके हुए है तृष्णा को
कुछ और,,,, पाने की चाह में
जो सोते भी नहीं है रातों को
नहीं,,,यह सुख नहीं हो सकता
सुख को अगर ढूंढना है
तो जाना पड़ेगा दूर दूर
खोजना होगा कोना कोना
टूटी-फूटी किसी झोपड़ी में
लहलहाते किसी खेत में
या कहीं रेत के ढेर पर
तुम सुख को हंसता पा सकते हो
सुख भौतिक चीजों में नहीं
मन की तृप्ति में मिलेगा
सुख दिखाई नहीं देगा
इसको अनुभव करना होगा
परिश्रम करते मजदूर की
पसीने की बूंदों में मिलेगा
रेत का घरौंदा बनाते हुए
बच्चों की तृप्त हंसी में होगा
सुख होता नहीं धन की खनक में
सुख तो छुपा है संतोषी मन में
सुख को अगर पाना है
तो अपने मन को टटोलो
जिस दिन तुम अपने जीवन में
संतुष्ट तृप्त हो जाओगे
उसी दिन सच्चा सुख पाओगे
संतोष ही सुख है तृप्ति ,,, है
बस यही सुखी जीवन है

Namita Chauhan
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