प्रकृति का खेल 2
शोर मचाते और उमड़ते- घुमड़ते बादलों ने जल्द ही बारिश का रूप लेकर धरती को भिगोने लगा।
ये धरती और आकाश की भी जोड़ी निराली है, जिसे जानना और समझना वश की बात नहीं।
जब - जब भू देवी (धरती) धूप से जलने लगती है, तो अम्बर अपने जल से धरती की प्यास बुझाता हैं।।
बदले मे धरती भी अपनी हरियाली से आकाश को लुभाती हैं।
इन दोनों का खेल भी निराला है, या यूँ कहें प्रकृति का खेल ही निराला हैं।।
© Aayu_ Shandilya
ये धरती और आकाश की भी जोड़ी निराली है, जिसे जानना और समझना वश की बात नहीं।
जब - जब भू देवी (धरती) धूप से जलने लगती है, तो अम्बर अपने जल से धरती की प्यास बुझाता हैं।।
बदले मे धरती भी अपनी हरियाली से आकाश को लुभाती हैं।
इन दोनों का खेल भी निराला है, या यूँ कहें प्रकृति का खेल ही निराला हैं।।
© Aayu_ Shandilya