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पत्र व्यवहार
प्रिय रुद्र,
वैसे तुमने आकाश के पते पर
पत्र लिखने के लिए कहा है क्या ?
क्या तुम अब आकाश में रहते हो?
क्या तुम आकाश में उड़ते हो?
रुई की तरह, चिड़िया की तरह?
तुम संसार छोड़कर स्वर्ग चले गये क्या?
सच पूछो तो तुम वास्तव में बच गये बच्चू

खैर, क्या तुम एक पक्षी नहीं बनना चाहते
और वापस उड़ना चाहते हो?
अपने ममता दीदी रोड स्थित घर में
फिर से उस नीलकंठ लालबाग में?
वैसे मुझे विश्वास नहीं है
कि यह तुम्हारा पता है या नहीं
ममता दीदी रोड नीलकंठ लालबाग
लेकिन एक समय पर
तुम शायद ऐसा करना चाहते रहे होगे
यही तुम्हारी प्रवृत्ति है, झूठ झूठ और झूठ

छोडो दूसरी बात करते है
अगर मैं चाहती
तो मैं रात भर सो नहीं पाती
लेकिन कहानी लेखन के लिए
अगर मुझे पूरा दिन चलना होता है
तो मै निरंतर चलती हूं
तुम भी कहते चलना चलते रहना
तुम्हें किसने रोका
जिंदगी तो तुम्हारे हाथ में है

सच कहूं तो रूद्र! 
मुझे तो आश्चर्य होता है आज भी
मेरे बाबा तुम्हें ट्रक में उठाये और ले गये
फिर उन्होने तुम्हारी ताबडतोड पिटाई करी
तुम विरोध नहीं कर सकते थे
क्योंकि तुम मुझसे प्रेम करते थे

खैर, अब तुमने मुझे छोड दिया
या तथाकथित कलयुगी भाषा मे
हम दोनो का ब्रेकप हो गया
और लालबाग की प्रेमिका के बारे मे क्या?
तुम्हे पता है एक दिन मैं बहुत रोयी
जब मैंने उसके प्रेम की प्रेम कविता देखी
तुम किसी और के साथ प्यार में थे रूद्र
यह मेरे लिए कोई मायने नहीं रखता
क्या बेवकूफ लड़की हूं मैं भी
तो क्या मानूं
मुझे तुमसे प्यार करना है
मानो हम दोनों दो जन्म के थे
जिस दिन तुमको बाबा ट्रक से ले गये
मैं बहुत करीब महसूस कर रही थी
कोलकाता शहर इतना खाली
कभी नहीं लगा मुझे
अपने सीने में ऐसा रोना
कभी महसूस नहीं हुआ
मैंने कोलकाता छोड़ दिया
और उस दिन
चौबीस परगना के लिए निकल गयी
हमारा अलगाव चार साल का था
इन सभी वर्षों के बाद
तुम अभी भी हृदय में कहीं गहरे बसे थे! रूद्र

ये जानकर, उस दिन मैं घबरा गयी
मेरी बड़ी मुस्कान देखकर
अब तुम्हारे सैकड़ों दोस्त सामने आ रहे हैं
वे तब कहां थे रूद्र ?
जब तुम्हारे पास पैसे की कमी थी
तो तुमने एक दोपहर
एक पारले जी खाकर बिताई
मैं तुम्हारी दोस्त नहीं हूं
क्योंकि मैंने तुम्हें छोड़ दिया है
अब जब तुम्हारा नाम
मेरे लिए उचित नहीं है
तो मुझे पता है कि तुम केवल
एक लापता हो एक अज्ञात हो
वे लोग कहां हैं
जो अब यह नहीं समझते कि
रुद्र दुखी है?

अंत में तुम शिजुका नाम की
एक लड़की से प्यार करते हो
शादी की बात चल रही थी
एक दिन शिजुका की
सारी कहानियां मुझे सुनाई
तुम शिजुका के बारे में
एक कविता लिखते हो और
कहते हो कि यह एक दया है

मैंने कभी किसी शिजुका
लड़की को नहीं देखा
तुम उससे प्यार करते भी हो
जब तुमने खुद से कहा था
तो तुमने मेरा दर्द नहीं समझा
मैंने तुम्हें सही छोड़ा
लेकिन किसी और से प्यार
नहीं कर सकती, अब
प्यार कोई ऐसी चीज नहीं है
जो मुझे परेशान करे ! रूद्र

और अंत मे देखो
आकाश रोज के साथ कितनी बातें करता है
एक दिन हम एक आकाश में भटक रहे थे
तुमने एक गीत सुना
जो कठिनाइयों के साथ लिखा है
“मै ठीक हूं”
तुमने मंगल पर बैठे गीत लिखा
तुमको किसका पत्र याद है?
मेरा? या
नदियो का नहरो का ?
मैं लंबे समय से
तुम्हें एक पत्र लिखना चाहती थी
एक समय था जब मैं तुमको
रोज लिखती थी पत्र
तुम भी रोज लिखते थे
आकाश का पता तब चलता है
जब आप घर पर बैठते हैं
क्या तुम्हें यह पत्र मिलेगा?
जीवन और दुनिया की प्यास
लोगों को संतुष्ट करने में
कभी विफल नहीं होती है
लेकिन लोग कितने दिन रहते हैं?
अभी दिन है और धूप खिली है
क्या मेरा दिन कठिन नहीं है?
क्या तुम ठीक हो रूद्र!
मैं अच्छी नहीं हूं
निःसंदेह, इस सुबह दोपहर और शाम में
- तुम्हारी शिमुका
© शिवप्रसाद