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इंसान और श्रद्धा...!
इंसान और श्रद्धा...!

देखा जाए तो इस दुनिया मे ऐसा कोई इंसान, कोई ऐसा जीव नही की जिसे किसी के प्रति श्रद्धा न हो। कोई किसी भगवान के प्रति श्रद्धा रखता है तो की माँ बाप के संस्करों के प्रति एकनिष्ठता रखता है। कोई किसी महापुरुष के विचारोंसे प्रभावित होता है। कोई प्रेमभाव मे श्रद्धा रखता है ; तो कोई दुनिया को प्रेमभाव सीखने वाले पर श्रद्धा रखता है। तो कोई इस सृष्टि मैं हर चीज़ नशवर है ओर संसार के हर जीवन का अंत तय है इस पर यकीन रखता है। कहने का तात्पर्य यही की संसार का हर जीव श्रद्धावान है।
जरूरी तो यही होता है कि हमारी श्रद्धा का आतिरेक और दिखाऊपन न हो। पर यह इंसान का स्वभाव है वो जिसपर श्रद्धा रखेगा वो उसे और लोगों को दिखायेगा जरूर...! और इन्ही चक्करो मैं श्रद्धा का रूपांतर अंधश्रद्धा मैं हो जाता है। इतनी अंधश्रद्धा की उसके परिमाण स्वरूप किसी इंसान की जान भी जा सकती है या कोई मानसिक रूपसे अस्वस्थ भी हो सकता है । या इसका समाज पर कितना खतक परिणाम हो सकता है हम कभी इसके बारे मे नही सोचते। हम सबको इस बात का खयाल रखना चाहिए कि कभी हमारे श्रद्धा का रूपांतर अंधश्रद्धा में न हो।
हमे हमेशा यह कोशिश करनी चाहिए कि हमारी श्रद्धा हमारे आचरण से दिखाई दे। अगर आप भगवान के प्रति श्रद्धाभाव रखते है तो आपको दुनिया मैं हर जगह भगवान है इस पर भी यकीन होना चाहिए। और उसी तरहा आपका वर्तन भी होना चाहिए। आपको हर जगह भगवान के होने का एहसास होगा। अगर आप माता पिता के प्रति निष्ठा रखते है तो आप उनके संस्करों के प्रति निष्ठावान रहेंगे। अगर आपको इस संसार को प्रेमभाव सीखनेवाले पर यकीन है तो आपको संसार के कण कण मैं प्रेम नजर आना चाहिए। तब आप सभी जीवों से ओर खुदसे भी प्रेंम कर पाएंगे और यह सब आपको कही से सीखना नही पड़ेगा। आप कभी किसीसे द्वेष नही करेंगे, हिंसा नही करेंगे, आसपास के सभी जीवों के भावनाओ का खयाल रखेंगे।
प्रेम, दया, श्रद्धा, हिंसा, अहिंसा, द्वेष, मत्सर, क्रोध यह सब इंसान के स्वभाव गुण है । यह पूर्णतः आप पर निर्भर है कि आप क्या चाहते हो ? इंसान अपने विचारोंसे निर्मित प्राणी है वो जैसा सोचता है वैसा ही बन जाता है। अगर आप आपके मन मे हिंसा, द्वेष, क्रोध रखोगे तो संसार मे हर जगह न चाहते हुए भी आपको वही सब दिखाई देगा। अगर आप दिल से किसी चीज के प्रति आस्था रखते हो तो जरूरी है आप उसको तन मन धन से अपने अंदर विकसित करो ।
क्योंकि आप मानो या न मानो...! अन्तः यह बात तो सच है कि इंसान अपने ही विचारो से निर्मित प्राणी है वो जैसा सोचता है वैसा ही बन जाता है...!
सोनाली अहिरे...✍️