बड़े मॉर्डन हो गये हम.. क्यूँ जी.
बड़े मॉर्डर्न हो गये हैं ना हम जी..
सर्व सुविधाओं से परिपूर्ण..
सब कुछ बदलने लगे हैं अपने आचार विचार, रहन-सहन, बोल-चाल.. सब कुछ
और शायद यही हमें ठीक भी लगता है..
क्योंकि इसके पीछे भी बहुत अच्छे अच्छे तर्क हैं जो हमें अपनी जीवनशैली को परिवर्तित करने को प्रेरित भी करते हैं.. एक प्रभावी तर्क तो ये भी है कि अगर जमाने के साथ ना चलें तो पिछड़ जायेंगे..
हमें चलना तो उसी के साथ है.. हमने मॉर्डन कहलाने के लिये कितने सेक्रिफाइज़ करने होते हैं.. अपना ख़ुद का एक ऐटिटूड रखना पड़ता है.. थोड़ा बहुत आंग्ल भाषा में ख़ुद को ढालना...
सर्व सुविधाओं से परिपूर्ण..
सब कुछ बदलने लगे हैं अपने आचार विचार, रहन-सहन, बोल-चाल.. सब कुछ
और शायद यही हमें ठीक भी लगता है..
क्योंकि इसके पीछे भी बहुत अच्छे अच्छे तर्क हैं जो हमें अपनी जीवनशैली को परिवर्तित करने को प्रेरित भी करते हैं.. एक प्रभावी तर्क तो ये भी है कि अगर जमाने के साथ ना चलें तो पिछड़ जायेंगे..
हमें चलना तो उसी के साथ है.. हमने मॉर्डन कहलाने के लिये कितने सेक्रिफाइज़ करने होते हैं.. अपना ख़ुद का एक ऐटिटूड रखना पड़ता है.. थोड़ा बहुत आंग्ल भाषा में ख़ुद को ढालना...